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ग्रैंड ट्रंक रोड के बारे में रोचक तथ्य

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ग्रैंड ट्रंक रोड के बारे में रोचक तथ्य
ग्रैंड ट्रंक रोड भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया की सबसे पुरानी लंबी एवं प्रमुख सड़क के रूप में जाना जाता है. यह सड़क पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश के चटगांव से शुरू होकर भारत-पाकिस्तान होते हुए अफगानिस्तान के काबुल तक जाती है. वर्तमान में ग्रैंड ट्रंक रोड 4 देशों से होते हुए 3670 किलोमीटर लंबी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्रैंड ट्रंक रोड को आखिर किसने बनवाया था ? इस तथ्य को जानने के लिए हमें थोड़ा इतिहास के पन्नों को खंगालना पड़ेगा. अमूमन इतिहास की किताबों में यह तथ्य लिखा रहता है कि ग्रैंड ट्रंक रोड का निर्माण शेरशाह सूरी ने कराया था. लेकिन यह तथ्य सही नहीं है. प्राचीन इतिहास की करें तो प्राचीन भारत के गौरवशाली इतिहास के प्रमुख राजा हुए चंद्रगुप्त मौर्य. जिन्होंने ग्रैंड ट्रंक रोड की नींव रखी थी. तब जिसका नाम उत्तर पथ हुआ करता था. प्राचीन काल में रोड गंगा के किनारे बसे नगरों को पंजाब से जोड़ते हुए खैबर दर्रा पार करती हुई अफगानिस्तान के केंद्र तक जाती थी. मौर्य काल में बौद्ध धर्म प्रसार इसी उत्तरापथ के माध्यम से अफगानिस्तान के कंधार तक हुआ था. लेकिन आजादी के बाद इतिहासकारों की  न जाने क्या मनसा रही कि उन्होंने भारत के गौरवशाली अतीत को मुगलों के महिमामंडन हेतु कुर्बान कर दिया. ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि जीटी रोड शेरशाह सूरी से 1850 साल पहले 329 ईसा पूर्व से ही भारत में मौजूद है.  चंद्रगुप्त मौर्य के समय इसको उत्तरापथ या उत्तर पथ नाम दिया गया था. बाद में शेरशाह सूरी ने इसका नाम बदलकर सड़क ए आजम कर दिया और इतिहासकारों ने इसे सड़क यह शेरशाह का कर पुकारना शुरू कर दिया. जब अंग्रेज आए तो इसका नाम ग्रैंड ट्रंक रोड हो गया.