राज्य सरकार नक्सलियों से वार्ता के लिए तैयार, लेकिन पहले आत्मसमर्पण करें: उपमुख्यमंत्री

 | 
राज्य सरकार नक्सलियों से वार्ता के लिए तैयार, लेकिन पहले आत्मसमर्पण करें: उपमुख्यमंत्री


रायपुर, 2 अप्रैल (हि.स.)। नक्सलियों के केंद्रीय समिति के शांति वार्ता के प्रस्ताव में नक्सलियों के युद्धविराम जैसे शब्द के

प्रयोग पर राज्य के उपमुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार का रुख स्पष्ट किया। नक्सलियों

की केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय के शांति वार्ता प्रस्ताव संबंधी पत्र पर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री शर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में युद्ध जैसी कोई स्थिति नहीं है तो फिर युद्धविराम कैसा? राज्य और केंद्र सरकार नक्सलियों से बातचीत के लिए तैयार है। नक्सलियों को हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण करना होगा, तभी कोई सार्थक समाधान संभव है। वार्ता के लिए एक उचित माध्यम तय किया जाना चाहिए, ताकि बातचीत से कोई ठोस समाधान निकाला जा सके।

उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री विजय शर्मा ने बुधवार को मंत्रालय में एक पत्रकार वार्ता में कहा कि राज्य सरकार किसी भी प्रकार की सार्थक वार्ता के लिए तैयार है। बशर्ते कि इसके लिए कोई शर्त न हो। उपमुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि सरकार का रुख साफ है, बातचीत के दरवाजे खुले हैं, लेकिन हिंसा और खूनखराबे पर कोई समझौता नहीं होगा। नक्सलियों को हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण करना होगा, तभी कोई सार्थक समाधान संभव है। यदि नक्सली वास्तव में मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं और बातचीत के लिए इच्छुक हैं तो उन्हें अपने प्रतिनिधि और वार्ता की शर्तों को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करना होगा। गृह मंत्री ने कहा कि सरकार के पास नक्सलियों के लिए बेहतरीन पुनर्वास नीति है। अगर वे आत्मसमर्पण करते हैं तो उन्हें एक बेहतर जीवन जीने का मौका दिया जाएगा।

पत्रकारों से वार्ता में उपमुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि वार्ता का स्वरूप आईएसआईएस जैसी किसी कट्टरपंथी विचारधारा की तर्ज पर नहीं हो सकता। यदि कोई चर्चा करना चाहता है तो उसे भारतीय संविधान की मान्यता स्वीकार करनी होगी। अगर वे संविधान को नकारते हैं और समानांतर व्यवस्था थोपने की कोशिश करते हैं,तो वार्ता का कोई औचित्य नहीं रहता। शर्मा ने कहा कि यदि नक्सली वार्ता को लेकर गंभीर हैं, तो उन्हें अपनी ओर से वार्ता के लिए समिति बनानी चाहिए। अब यदि वे बातचीत करना चाहते हैं, तो उन्हें स्पष्ट प्रस्ताव के साथ आगे आना होगा।

उपमुख्यमंत्री ने दोहराया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने अब तक की सबसे बेहतर पुनर्वास नीति लागू की है। जो भी नक्सली आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, उन्हें इस नीति के तहत सुरक्षा, पुनर्वास और रोजगार के अवसर दिए जाएंगे। सरकार चाहती है कि जो लोग भटके हुए हैं, वे समाज में वापस आएं और एक व्यवस्थित जीवन जीयें। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि बीते एक से डेढ़ वर्ष में 40 गांवों में पहली बार तिरंगा फहराया गया, जहां पहले तक नक्सली कानून थोपने की कोशिश करते थे। उन्होंने कहा कि अब राज्य के सभी गांवों में तिरंगा लहराना और भारतीय संविधान का पालन करना अनिवार्य है।

उल्लेखनीय है कि नक्सलियों की केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय ने तेलगु भाषा में एक पर्चा जारी कर नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन रोकने पर शांति वार्ता के लिए का प्रस्ताव दिया हैं। प्रवक्ता अभय ने कहा कि हमारा प्रस्ताव है कि केंद्र और राज्य सरकारें छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र (गढ़चिरौली), ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में ऑपरेशन के नाम पर हत्याओं को रोकें, नए सशस्त्र बलों के कैंप की स्थापना को रोकें। अगर केंद्र और राज्य सरकारें इन प्रस्तावों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देती हैं, तो हम तत्काल युद्धविराम की घोषणा कर देंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / केशव केदारनाथ शर्मा