जल्द लौटेगा विक्रमशिला विश्वविद्यालय का गौरव, मुख्य सचिव ने किया निरीक्षण

भागलपुर, 28 मार्च (हि.स.)। आठवीं सदी में तंत्र विद्या के लिए विश्वभर में अपनी पहचान बनाने वाली भागलपुर स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय का गौरव फिर से वापस लौटने वाला है। जिसको लेकर कवायद तेज हो गई है। नालंदा विश्विद्यालय के बाद अब विक्रमशीला विश्विद्यालय के दिन बहुरने वाले हैं। विक्रमशिला विश्विद्यालय को 12 वीं सदी में बख्तियार खिलजी ने नष्ट किया था। अब यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केंद्रीय विश्विद्यालय का निर्माण करवाने जा रहे हैं। भागलपुर के कहलगांव स्थित विक्रमशिला विश्विद्यालय के समीप केंद्रीय विश्विद्यालय का निर्माण किया जाएगा। केन्द्र सरकार ने 2015 में ही 500 करोड़ रुपये इसके निर्माण को लेकर दिये थे हाल ही में राज्य सरकार ने भागलपुर जिला प्रशासन को 89 करोड़ रुपये जमीन अधिग्रहण के लिए दिया है।
बिहार सरकार के मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा शुक्रवार को अपने अधीनस्थ अधिकारियों के साथ विक्रमशीला विश्विद्यालय के अवशेष स्थल पर पहुंचे। चिन्हित जमीन का भी निरीक्षण किया। उन्होंने जमीन सम्बन्धी कार्रवाई को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिया है । जमीन की डीपीआर संबंधी भी जानकारी ली। मुख्य सचिव को केंद्रीय विश्वविद्यालय निर्माण को लेकर चिन्हित जमीन के बारे में भागलपुर के जिलाधिकारी डॉक्टर नवल किशोर चौधरी ने नक्शा दिखाते हुए उन्हें ब्रीफ किया ।
मुख्य सचिव ने जमीन का किस्म और आसपास स्थित नदी, पहाड़ और सड़क सहित बसावट आबादी के बारे में भी विस्तृत से चर्चा की। सम्भवतः जल्द पीएम मोदी के हाथों शिलान्यास किया जाएगा। 215 एकड़ जमीन चिन्हित कर ली गयी है इसके डीपीआर की जिम्मेदारी नई दिल्ली स्थित स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर को दी गयी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने भागलपुर में मंच से कहा था जल्द केंद्रीय विक्रमशीला विश्विद्यालय की स्थापना की जाएगी। 24 फरवरी को भागलपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था विक्रमशिला विश्वविद्यालय ज्ञान का वैश्विक केंद्र था। हमने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के गौरव को नए नालंदा विश्वविद्यालय के माध्यम से पुनर्जीवित किया है। अब बारी विक्रमशिला की है, जहां एक केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है।
विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना 8वीं-9वीं शताब्दी में पाल वंश के राजा धर्मपाल ने की थी। यह नालंदा विश्वविद्यालय का समकालीन था और पाल काल (8वीं से 12वीं शताब्दी) के दौरान अपनी शैक्षिक श्रेष्ठता के लिए प्रसिद्ध हुआ। जहां नालंदा विश्वविद्यालय गुप्त काल (320-550 ई.) से लेकर 12वीं शताब्दी तक प्रसिद्ध रहा, वहीं विक्रमशिला विश्वविद्यालय पाल काल में अपने उत्कर्ष पर था। नालंदा विविध विषयों के अध्ययन का केंद्र था, जबकि विक्रमशिला विश्वविद्यालय विशेष रूप से तांत्रिक और गुप्त विद्याओं में विशेषज्ञता रखता था। राजा धर्मपाल के शासनकाल के दौरान, विक्रमशिला को नालंदा से भी अधिक महत्व प्राप्त था और यह नालंदा विश्वविद्यालय के प्रशासन को भी नियंत्रित करता था। यहां पुरातात्विक उत्खनन पहले पटना विश्विद्यालय द्वारा तकरीबन 1960 से 1969 में हुआ था। उसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा 1972 से 1982 के बीच खुदाई की गई थी। जिसके फलस्वरूप क्रॉस आकार का स्तूप, वर्गाकार विहार, मनौती स्तूपों के समूह भग्नावशेष में आये है।
एक तिब्बती व हिन्दू मन्दिर सहित अनेकों भवनों के अवशेष व कई स्तूप प्राप्त हुए थे। वर्तमान में 2024 से फिर खुदाई शुरू कर दी गयी है जहां महाविहार के आसपास कई तरह के अवशेष मिले हैं। मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने कहा कि विक्रमशिला में केंद्रीय विश्वविद्यालय का निर्माण होना है,जिसको लेकर हम लोगों ने स्थलीय निरीक्षण किया है। विश्वविद्यालय निर्माण के लिए भू अर्जन की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है, कहां कि भू अर्जन के कार्य को देखने के लिए और स्थल पर किस तरह की प्लानिंग हो रही है, उसको जाना और समझा है। कहां कि एप्रोच रोड का जो समस्या है उसको भी हमने समझा है और आवश्यक निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि भू अर्जन से पहले सोशल इंपैक्ट एसेसमेंट होता है जिसकी करवाई चल रही है। कह सकते हैं विक्रमशिला के पुनरुद्धार से न केवल बिहार की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान मिलेगी, बल्कि यह शिक्षा और पर्यटन के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इस दौरान भागलपुर एएसपी हृदयकांत कहलगांव डीएसपी कल्याण आनंद सहित कई अधिकारी उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर