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आत्मनिर्भर भारत पैकेज: 27 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय प्रोत्साहन सरकार की घोषणा

भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत की राह में बड़ा कदम उठाते हुए, व्यापार को प्रोत्साहन देने और कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की है।
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दिल्ली : भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत की राह में बड़ा कदम उठाते हुए, व्यापार को प्रोत्साहन देने और कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की है। इस पैकेज के तहत, सरकार ने 27 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया है।

यह पैकेज देश को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए विभिन्न दीर्घकालिक योजनाएं, कार्यक्रम, और नीतियों को शामिल करता है। इसमें व्यापार, उद्यमिता, और बेरोजगारी के क्षेत्र में सुधार को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय शामिल हैं।

नए रोजगार के सृजन और कोविड-19 महामारी के दौरान रोजगार के नुकसान की बहाली के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) 1 अक्टूबर, 2020 से शुरू की गई थी। लाभार्थियों के पंजीकरण की अंतिम तिथि 31.03.2022 थी। योजना प्रारम्भ से दिनांक 19.01.2024 तक योजनान्तर्गत 60.49 लाख लाभार्थियों को लाभ प्रदान किया जा चुका है। सरकार 01 जून, 2020 से प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि योजना) को लागू कर रही है ताकि स्ट्रीट वेंडरों को अपने व्यवसायों को, जिस पर कोविड -19 महामारी के दौरान प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था, फिर से शुरू करने के लिए संपार्श्विक मुक्त कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा दे रही है। 31.01.2024 तक, योजना के तहत 83.67 लाख ऋण स्वीकृत किए गए हैं।

सरकार द्वारा स्वरोजगार की सुविधा के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) शुरू की गई थी। पीएमएमवाई के तहत, 10 लाख रुपये तक संपार्श्विक मुक्त ऋण सूक्ष्म/लघु व्यवसाय उद्यमों और व्यक्तियों को अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को स्थापित करने या विस्तारित करने में सक्षम बनाने के लिए दिए गए हैं। 26.01.2024 तक योजना के तहत 46.16 करोड़ ऋण स्वीकृत किये गये।

2021-22 से शुरू होने वाले 5 वर्षों की अवधि के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना सरकार द्वारा 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ कार्यान्वित की जा रही है, जिसमें 60 लाख नई नौकरियां पैदा करने की क्षमता है।

पीएम गतिशक्ति आर्थिक वृद्धि और स्थायी विकास के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है। यह दृष्टिकोण सात इंजनों अर्थात्, सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह, जन परिवहन, जलमार्ग और रसद अवसंरचना द्वारा संचालित है। यह दृष्टिकोण स्वच्छ ऊर्जा और सबका प्रयास द्वारा संचालित है जिससे सभी विशाल नौकरी और उद्यमशीलता के अवसर पैदा होते हैं।

भारत सरकार प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) और दीन दयाल अंतोदय योजना, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम) जैसी पर्याप्त निवेश और सार्वजनिक व्यय वाली विभिन्न परियोजनाओं को रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहित कर रही है। सरकार ग्रामीण स्वरोजगार और प्रशिक्षण संस्थानों (आरएसईटीआई) के माध्यम से उद्यमिता विकास के लिए ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए एक कार्यक्रम लागू कर रही है।

इसके अलावा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के माध्यम से युवाओं की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस), प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) योजना और शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) लागू कर रहा है।

इन पहलों के अलावा, सरकार के विभिन्न प्रमुख कार्यक्रम जैसे मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया, डिजिटल इंडिया, हाउसिंग फॉर ऑल आदि भी रोजगार के अवसर पैदा करने की ओर उन्मुख हैं।