अमित शाह गोलाप बरबोरा की जन्मशताब्दी पर आयोजित कार्यक्रम में हुए शामिल
गुवाहाटी, 29 अगस्त (हि.स.)। असम के पहले गैर–कांग्रेसी मुख्यमंत्री गोलाप बरबोरा की जन्मशताब्दी शुक्रवार को पूरे राज्य में श्रद्धापूर्वक मनाई गई। श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में आयोजित केंद्रीय कार्यक्रम में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह मुख्यातिथि के रूप में शामिल हुए। मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल समेत कई गणमान्य व्यक्तियों ने बरबोरा के जीवन और योगदान को याद किया।
1925 में गोलाघाट में जन्मे बरबोरा ने तिनसुकिया और कोलकाता में अध्ययन के दौरान राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण जैसे दिग्गजों से प्रेरणा पाई। समाजवादी विचारधारा से प्रभावित होकर वे 1957 में सत्याग्रह आंदोलन में शामिल हुए और छह महीने तक जेल में रहे। 1968 में वे असम से राज्यसभा में पहले विपक्षी सदस्य बने और 1978 में उन्होंने असम के राजनीतिक इतिहास में नया अध्याय लिखते हुए पहले गैर–कांग्रेसी मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा ने इस अवसर पर कहा कि बरबोरा का पहला निर्णय स्कूली शिक्षा को कक्षा 10 तक निःशुल्क करना था। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया और बैंकिंग व रेलवे क्षेत्रों में रोजगार सृजन के प्रयास किए। सरमा ने यह भी बताया कि बरबोरा ने मतदाता सूची से अवैध नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू की थी, जिसमें करीब 36 हजार मतदाताओं को विदेशी घोषित किया गया। यही प्रक्रिया आगे चलकर असम आंदोलन की नींव बनी।
गृहमंत्री अमित शाह ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “गोलप बरबोरा सच्चे समाजवादी और राष्ट्रवादी थे जिनकी नीतियां आज भी हमें प्रेरित करती हैं। उनकी सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी तथा गरीबों के कल्याण के लिए काम किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उनकी प्रेरणा से देशभर में जनसांख्यिकीय बदलावों का अध्ययन और अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए उच्च स्तरीय मिशन की घोषणा की है। असम में घुसपैठियों को हटाने की मुहिम उनके ही दृष्टिकोण की निरंतरता है।”
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि बरबोरा ने आपातकाल के दौरान निडर होकर आवाज उठाई और भ्रष्टाचार व वंशवादी राजनीति का विरोध किया। उनके कार्य आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायी हैं।
बरबोरा के पुत्र पंकज बोरबोरा ने राज्य सरकार का आभार जताते हुए कहा कि 1978 के मंगलदै उपचुनाव के दौरान मतदाता सूची की गहन जांच से ही अवैध प्रवासियों का मुद्दा पहली बार उजागर हुआ था।
सादगी, ईमानदारी और समाजवादी मूल्यों के प्रतीक गोलप बरबोरा का निधन 19 मार्च 2006 को 81 वर्ष की आयु में हुआ। जन्मशताब्दी पर असम ने उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में याद किया, जिनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय की दृष्टि आज भी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी हुई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश

