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8 साल के बच्चे की ई रिक्शा चलाने के पीछे की कहानी

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8 साल के बच्चे की ई रिक्शा चलाने के पीछे की कहानी
इंसान के जीवन में समस्याओं का आना जरूरी होता है. कहते हैं कि इंसान समस्याओं से लड़ता है और एक समय बाद एक बेहतर भविष्य का निर्माणकर्ता के रूप में उभरकर समाज के सामने खुद को स्थापित करता है. लेकिन कभी-कभी समस्याएं वक्त से पहले आ जाती है तो इंसान परेशान और जीवन से निराश हो जाता है. आज की कहानी है एक 8 साल के बच्चे की. घटना जुड़ी हुई है देश के राज्य हैदराबाद से.  दिव्यांग माता-पिता और तीन भाई बहनों का पेट पालने के लिए एक 8 साल का बच्चा हैदराबाद में इन दिनों ई रिक्शा चलाकर घर के लोगों का पेट पाल रहा है.  पिछले हफ्ते की बात है चंद्रगिरी की ओर जा रहे हैं, एक शख्स ने हाईवे पर स्कूल ड्रेस में ई रिक्शा चला रहे एक बच्चे को देखा. बच्चा दो लोगों को अपने रिक्शा पर बैठा कर कहीं ले जा रहा था. देखने वाला शख्स हैरान रह गया. शख्स ने उस बच्चे की कहानी जाननी चाही. बच्चे की कहानी सुनकर वह पूरी तरीके से अंदर तक हिल गया.  तीसरी कक्षा में पढ़ने वाला गोपाल कृष्ण अपने परिवार का पेट पालने के लिए ई रिक्शा चला रहा है. उसके माता और पिता दोनों दिव्यांग है और गोपाल के तीन भाई बहनों में बड़ा बेटा है. उस वक्त उस शख्स ने बच्चे से बातचीत किया तो जान पाया कि गोपाल कृष्ण ने कहा कि पढ़ाई के बाद मैं अपने माता पिता को ही रिक्शा में ले जाता हूं. बड़ा बेटा होने के नाते परिवार की मदद करना मेरी नैतिक जिम्मेदारी है. गौरतलब है कि गोपाल कृष्ण के दिव्यांग माता-पिता चंद्र गिरी शहर में अलग-अलग जगहों पर सब्जियां और किराने का सामान बेचते हैं. उस शक्स ने जब गोपाल के माता-पिता से बात की तो पता चला गोपाल के माता-पिता दोनों लोग शत-प्रतिशत दृष्टिबाधित है. इनके तीन बच्चे हैं. बड़ा बेटा पढ़ाई के बाद पैसे कमाने में उनकी मदद करता है. आज देश में गोपाल कृष्ण जैसे न जाने कितने बच्चे घर की जिम्मेदारियों की वजह से अपना बचपन जी नहीं पाते हैं और अपना बचपन खो देते हैं. आज के युवा समाज के लिए गोपाल कृष्ण की कहानी प्रेरणादायक तो है लेकिन एक टिस और मलाल भी है, गोपाल का जिम्मेदारियों की वजह से बचपन का छिन जाना.