बाल-विवाह मुक्त होंगे बंगाल के 23 जिले, शुरू हुआ देश का सबसे बड़ा अभियान
कोलकाता, 05 दिसंबर (हि. स.)। भारत को वर्ष 2030 तक बाल-विवाह मुक्त बनाने के लक्ष्य को आगे बढ़ाते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) ने अगले एक वर्ष के भीतर देश के एक लाख गांवों को बाल-विवाह मुक्त घोषित करने का व्यापक अभियान शुरू किया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण–V (2019–21) के आधार पर पहचाने गए उच्च-प्रभावित जिलों में पश्चिम बंगाल के 23 जिलों को विशेष निगरानी और कार्रवाई के लिए शामिल किया गया है। यह घोषणा केंद्र सरकार के “बाल्यविवाह मुक्त भारत” अभियान की पहली वर्षगांठ के अवसर पर की गई, जिसे 100-दिवसीय कार्ययोजना के तहत शुरू किया गया था।
जेआरसी देशभर में 250 से अधिक एनजीओ के सबसे बड़े नेटवर्क का नेतृत्व कर रहा है और पश्चिम बंगाल में 14 साझेदार संगठनों के सहयोग से कार्य कर रहा है। पिछले एक वर्ष में इस नेटवर्क ने राज्य में 11,938 बाल-विवाह रोके हैं। देशभर में पिछले वर्ष में एक लाख से अधिक बाल-विवाह रोकने में भी यह नेटवर्क सफल रहा है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण–V के अनुसार, पश्चिम बंगाल में बाल-विवाह की दर 41.6 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत से कहीं अधिक है। बाल-विवाह की सर्वाधिक दर वाले शीर्ष 60 जिलों में से 11 जिले पश्चिम बंगाल में मौजूद हैं। पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर, मुर्शिदाबाद और पूर्व बर्दवान जैसे जिलों में यह दर 50 प्रतिशत से अधिक दर्ज की गई है। सात जिलों में यह दर 40–40.9 प्रतिशत के बीच और छह जिलों में 30–39.9 प्रतिशत के बीच पाई गई है।
जेआरसी के संस्थापक भुवन रिवु ने अभियान का रोडमैप साझा करते हुए कहा कि समुदाय, धार्मिक नेताओं, पंचायतों और आम नागरिकों की भूमिका इस अभियान की सफलता में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पिछले वर्ष बड़े पैमाने पर बाल-विवाह रोका जाना इस बात का प्रमाण है कि सामूहिक प्रयास से परिवर्तन संभव है। उन्होंने अगले एक वर्ष में एक लाख गांवों को बाल-विवाह मुक्त बनाने का संकल्प भी दोहराया।
संगठन पूरे देश में “3पी मॉडल-संरक्षण, रोकथाम और न्याय” के आधार पर कार्य कर रहा है। एक अप्रैल, 2023 से 14 नवंबर, 2025 के बीच जेआरसी द्वारा 4 लाख 35 हजार 205 बाल-विवाह रोके जाने का दावा किया गया है। कानूनी हस्तक्षेप और जागरूकता अभियानों ने समाज में बाल-विवाह के प्रति सोच में महत्वपूर्ण बदलाव लाया है।
“बाल्यविवाह मुक्त भारत” अभियान की पहली वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत” के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 100-दिवसीय गहन कार्ययोजना लागू की है, जो 8 मार्च 2026, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर समाप्त होगी। इस योजना के अंतर्गत जागरूकता कार्यक्रम स्कूलों, कॉलेजों, धार्मिक स्थलों, विवाह-संबंधी सेवाओं, ग्राम पंचायतों और शहरी वार्डों को जोड़कर तीन चरणों में लागू किए जाएंगे।
पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, पंचायत, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा तथा संबंधित विभागों के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों से इस अभियान में सक्रिय भागीदारी का आग्रह किया है, ताकि राज्य को बाल-विवाह मुक्त बनाने की दिशा में ठोस प्रगति सुनिश्चित की जा सके।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय

