इंडिगो संकटः केंद्र सरकार व डीजीसीए पर पृथ्वीराज चव्हाण का गंभीर आरोप
मुंबई, 8 दिसंबर (हि.स.)। इंडिगो एयरलाइन संकट के कारण यात्रियों को हुई परेशान के लिए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने के केंद्र सरकार और डीजीसीए को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू के इस्तीफे, डीजीसीए के जिम्मेदार अधिकारियों को नौकरी से निकालने और इंडिगो के सीईओ को तुरंत सस्पेंड करने की मांग की है।
मुंबई के कोलाबा स्थित पार्टी कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए चव्हाण ने इंडिगो एयरलाइन, केंद्र सरकार, डीजीसीए पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि एविएशन सेक्टर में बढ़ती मोनोपॉली, नियमों के उल्लंघन और सरकार व एयरलाइन के बीच कथित मिलीभगत के कारण यह समस्या निर्माण हुई। यह दुर्भाग्यपूर्ण और चौंकाने वाली घटना है. यह सब केंद्र सरकार और डीजीसीए की ओर से इंडिगो को दी गई छूट और ढिलाई के कारण हुआ। डीजीसीए के 1 जुलाई 2024 से लागू किए गए नियमों की वजह से मोनोपॉली बढ़ी है। एविएशन सेक्टर में केवल दो कंपनियों इंडिगो 65% और टाटा ग्रुप 30% की मोनोपॉली है। यह स्थिति बेहद खतरनाक है। साल 2004 में 10 एयरलाइंस थीं. आज 40 करोड़ यात्री और सिर्फ दो कंपनियां हैं. यह स्थिति भविष्य में और गंभीर हो जाएगी। सरकार को एविएशन सेक्टर को प्राइवेट हाथों में जाने देने के बजाय अपनी खुद की एयरलाइन शुरू करनी चाहिए। चव्हाण ने यात्रियों को हुए नुकसान भरपाई के लिए मांग की है कि सरकार कम से कम 1000 करोड़ रुपये का एक स्पेशल फंड बनाए। भोपाल गैस त्रासदी की तरह यात्रियों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। इस संकट पर 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट देने के लिए एक हाई-लेवल जांच कमेटी बनाई जानी चाहिए।
चव्हाण ने कॉम्पिटिशन कमीशन को भंग करने और एक नई कमेटी बनाने की मांग करते की है। उन्होंने इंडिगो को दो हिस्सों में बांटने और हर एक का मैक्सिमम मार्केट शेयर 30% रखने का प्रस्ताव रखा है। चव्हाण ने आरोप लगाया कि इंडिगो के मालिकों ने इलेक्टर बॉन्ड के जरिए भाजपा को 56 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। क्या इसका डीजीसीए के फैसलों से कोई कनेक्शन है? इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अडानी डिफेंस ने इस साल 25 नवंबर को देश का सबसे बड़ा पायलट ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट खरीदा। इससे इस सेक्टर में मोनोपॉली बढ़ने का खतरा है। क्योंकि कुछ दिनों पहले नागरिक उड्डयन मंत्री ने घोषणा की थी कि देश को अगले 10-15 वर्षो में 30 हजार पायलटों की जरूरत पड़ सकती है। इसके बाद अडानी ने ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट खरीद लिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / वी कुमार

