मध्य प्रदेश में जलवायु वित्त जुटाने और रणनीति तैयार करने भोपाल में हुई कार्यशाला
भोपाल, 10 दिसम्बर (हि.स.)। राज्य की विकास प्राथमिकताओं के अनुरूप जलवायु वित्त समाधान विकसित करने और राज्य स्तरीय जलवायु वित्त रणनीति तैयार करने के उद्देश्य से, डब्ल्यूआरआई इंडिया ने पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) और क्लाइमेट पॉलिसी इनिशिएटिव (सीपीआई) के सहयोग से बुधवार को राजधानी भोपाल में “मध्य प्रदेश में जलवायु वित्त जुटाने पर भोपाल में कार्यशाला” विषय पर सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यशाला में शासकीय विभाग, शोध संस्थानों, वित्तीय संस्थानों, अकादमिक संगठन और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने राज्य के जलवायु वित्त परिदृश्य, जलवायु अनुकूल विकास के लिए व्यावहारिक रणनीतियों और प्रमुख क्षेत्रों में उभरते अवसरों पर चर्चा की।
पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक बर्णवाल ने कहा कि “जलवायु वित्त अब उन राज्यों के लिए सबसे महत्वपूर्ण सक्षम साधनों में से एक बन गया है, जो मध्य प्रदेश की तरह बढ़ते जलवायु जोखिमों का सामना कर रहे हैं। इस विकास पथ को उच्च-उत्सर्जन मार्ग पर जाने से रोकने के लिए हमें जलवायु वित्त तक पहुंच को मजबूत करना होगा और सभी क्षेत्रों में नीतिगत रूप से सक्षम परियोजनाएं विकसित करनी होंगी। विभागों के बजट अभ्यासों में जलवायु वित्त को शामिल करना आवश्यक है और इसके लिए उच्च गुणवत्ता की परियोजनाएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हमें न केवल शासकीय विभागों और निजी क्षेत्र, बल्कि आमजन की क्षमताओं की वृद्धि और उनकी संवेदनशीलता बढ़ाने की भी आवश्यकता है। मिशन लाइफ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक साबित हो सकता है।”
एप्को के कार्यपालन संचालक दीपक आर्या ने कहा कि हाल ही में जारी किया गया राज्य जलवायु परिवर्तन कार्य योजना एक महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत है, लेकिन वित्तीय अंतर अब भी बहुत बड़ा है। अनुकूलन और शमन प्रयासों के लिए लगभग 97 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता का अनुमान है। केवल सार्वजनिक बजट इस अंतर को पूरा नहीं कर सकते, इसलिए राज्य में प्रभावी जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए निजी निवेश, मिश्रित वित्त, कार्बन बाज़ारों और बहुपक्षीय जलवायु कोषों को जुटाना अत्यंत आवश्यक है। एप्को प्रत्येक हितधारक को उच्च गुणवत्ता की परियोजनाएँ विकसित करने और उपलब्ध जलवायु वित्त अवसरों का लाभ उठाने के लिए हर प्रकार का सहयोग प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
समन्वयक, जलवायु परिवर्तन ज्ञान प्रबंधन केन्द्र एप्को लोकेन्द्र ठक्कर ने कहा कि एप्को ने विभिन्न वित्तपोषण योजनाओं का उपयोग करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं और राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन पर रणनीतिक ज्ञान मिशन (एनएमएसकेसीसी), राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (एनएपीसीसी) और सेंटर फॉर क्लीन एयर पॉलिसी (सीसीएपी) के तहत सफलतापूर्वक धनराशि जुटाई है, जिसके माध्यम से उप-राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु कार्रवाई और परियोजनाओं को लागू किया गया है।
डब्ल्यूआरआई इंडिया के एसोसिएट प्रोग्राम डायरेक्टर सारांश बाजपेयी ने कहा कि सब-नेशनल क्लाइमेट फाइनेंस को मजबूत करना अति आवश्यक है, क्योंकि राज्यों की अहम भूमिका है कि वे इसे लागू करने में आगे आएं और यह सुनिश्चित करें कि क्लाइमेट एक्शन समुदायों और संवेदनशील इलाकों तक पहुंचे। फसल उत्पादन में एक बड़ा योगदान देने वाले और देश में सबसे ज़्यादा जंगल और पेड़ वाले इलाके के तौर पर मध्यप्रदेश को ज़मीन के उपयोग में जलवायु के परस्पर बदलावों को आगे बढ़ाने में अधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है।
मध्यप्रदेश में जलवायु वित्त परिदृश्य पर चर्चा की पृष्ठभूमि प्रस्तुत करते हुए प्रोग्राम लीड, जलवायु वित्त, डब्ल्यूआरआई इंडिया नेहा मिश्रा ने कहा कि सार्वजनिक, निजी, अंतर्राष्ट्रीय और मिश्रित स्रोतों से जलवायु वित्त जुटाना समृद्ध मध्यप्रदेश@2047 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनिवार्य है। आगामी जलवायु से संबंधित कार्यों के लिए सही पूंजी, मजबूत परियोजना क्षमताएँ और ठोस नीतिगत समर्थन जरूरी हैं। एप्को के नेतृत्व में राज्य जिस प्रकार समन्वित प्रयास कर रहा है, वह प्रभावी जलवायु कार्रवाई की शक्ति को दर्शाता है, और डब्ल्यूआरआई इंडिया राज्य के साथ इस महत्वपूर्ण कार्य में सहयोग करते हुए हर्षित है।
तकनीकी सत्रों में सतत कृषि, वानिकी, जलवायु-अनुकूल क्रियाएं और शहरी प्रणालियों के लिए उपयुक्त वित्तीय समाधानों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम का समापन इस आग्रह के साथ हुआ कि मध्यप्रदेश के लिए ऐसे जलवायु वित्त रणनीतियाँ विकसित की जाए जो आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ-साथ जलवायु-अनुकूल भी हो। इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए पियूष त्रिपाठी मो.- 8294154887, Piyush.Tripathi@wri.org एवं रौशन मिश्रा मो.- 7903157371, Roushan.Mishra@wri.org से संपर्क किया जा सकता है।
डब्ल्यूआरआई इंडिया एक स्वतंत्र चैरिटी संस्था, जो इंडिया रिसोर्सेज ट्रस्ट के रूप में विधिवत पंजीकृत है, पर्यावरणीय रूप से सुदृढ़ और सामाजिक रूप से न्यायसंगत विकास को बढ़ावा देने के लिए निष्पक्ष जानकारी और व्यावहारिक सुझाव प्रदान करती है। अनुसंधान, विश्लेषण और सिफारिशों के माध्यम से, डब्ल्यूआरआई इंडिया पृथ्वी की सुरक्षा, आजीविका को सुदृढ़ करने और मानव कल्याण को बढ़ाने वाले रूपांतरकारी समाधानों को व्यवहार में लाने का कार्य करती है।
हिन्दुस्थान समाचार / उम्मेद सिंह रावत

