ब्रह्मांडीय परिवर्तनों को समझने में सहायता कर रहे गणित के विभिन्न स्वरूप-डॉ. भीष्म
उज्जैन, 4 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के उज्जैन में वर्तमान में विश्व में हो रहे ब्रह्मांडीय परिवर्तनों कॉस्मोलॉजिकल चेंज को समझने में गणित के विभिन्न स्वरूप महत्वपूर्ण सहायता कर रहे हैं। गणितीय सूत्रों के माध्यम से अब जटिल कैलकुलेशन अति शीघ्र और सटीक रूप से किए जा रहे हैं। यह बात गुरुवार को तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस आईसीएमएसएएसए 2025 के समापन अवसर पर दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिक डॉ. अरुण भीष्म ने कही। उन्होंने कॉस्मोलॉजी के विभिन्न आयामों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
संगोष्ठी के तकनीकी सत्र में कॉस्मोलॉजी और गणित के अद्भुत समन्वय पर मंथन किया गया। प्रारंभिक सत्रों में पन्द्रह से अधिक विशिष्ट व्याख्यान हुए। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में देश-विदेश के ख्यात वैज्ञानिकों, गणितज्ञों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया और विज्ञान के बदलते स्वरूप पर अपने विचार साझा किए। समापन समारोह में अतिथि दक्षिण अफ्रीका की समाजशास्त्री डॉ. निरूपा भीष्म, प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा थे। अध्यक्षता प्रो व्हीएच बादशाह ने की। संगोष्ठी की उपलब्धियों पर प्रो. संदीप कुमार तिवारी ने प्रकाश डाला। लेखिका डॉ. सुमन जैन द्वारा भगवान महावीर के सिद्धांतों पर लिखित पुस्तक का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि प्रागैतिहासिक काल से लेकर वैदिक एवं ऐतिहासिक काल तक भारत ने गणितीय विज्ञान और अनुप्रयोगों की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उसने बाद के दौर में विश्व सभ्यता और विज्ञान बोध पर गहरा प्रभाव डाला। आर्यभट्ट और वराहमिहिर जैसे भारतीय ऋषियों के योगदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकेगा।
संगोष्ठी में प्रस्तुत हुए 90 शोध पत्र
संगोष्ठी के दूसरे दिन के सत्र में रोमानिया, तुर्की और डरबन की जुलुलैंड यूनिवर्सिटी से आए विषय विशेषज्ञों ने अपने शोध प्रस्तुत किए। साथ ही भारत के प्रतिष्ठित संस्थान बिट्स पिलानी, प्रयागराज यूनिवर्सिटी और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के विद्वानों ने भी अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। इसके साथ ही अलग-अलग संयुक्त सत्र आयोजित किए गए, जिनमें देश-विदेश के प्रतिभागियों द्वारा लगभग 90 रिसर्च पेपर (शोध पत्र) प्रस्तुत किए गए। समापन दिवस की शुरुआत यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका, रोमानिया और दिल्ली यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों के विशिष्ट व्याख्यानों से हुई। पश्चात समापन समारोह हुआ। समन्वयक प्रो. संदीप कुमार तिवारी ने ज्ञान के इस महाकुंभ में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। आभार सह-संयोजक डॉ. राजेश कुमार टेलर ने माना।
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हिन्दुस्थान समाचार / ललित ज्वेल

