सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय में बौद्धिक संपदा अधिकार जागरूकता पर विशिष्ट व्याख्यान संपन्न
उज्जैन,5 दिसंबर (हि.स.)। पेटेंट अधिकार एक कानूनी अधिकार है जो किसी आविष्कार पर आविष्कारक को विशेष अधिकार देता है, ताकि वह उस आविष्कार को दूसरों को बनाने, उपयोग करने या बेचने से रोक सके। यह बात शुक्रवार को सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय,उज्जैन के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने विधि अध्ययनशाला में बौद्धिक संपदा अधिकार जागरूकता विषय पर आयोजित विशिष्ट जागरूकता व्याख्यान में मुख्य अतिथि के रुप में कही।
मुख्य वक्ता इंडियन पेटेंट एटर्नी डॉ. शरद सालुंके थे। उन्होंने बौद्धिक संपदा अधिकारों के विभिन्न आयामों पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, डिजाइन तथा इनके व्यावहारिक महत्व पर विद्यार्थियों को विस्तृत एवं प्रभावी जानकारी प्रदान की। उन्होंने शोध, नवाचार तथा स्टार्ट-अप संस्कृति में आईपीआर की भूमिका और आवश्यकताओं पर भी छात्रों को मार्गदर्शन दिया।
पेटेंट अधिकार 20 वर्षों तक रहता है वैध
प्रो. भारद्वाज ने कहा कि पेटेंट अधिकार एक सरकारी दस्तावेज है जो आविष्कारक को अपने आविष्कार के लिए कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है। यह आमतौर पर 20 वर्षों तक वैध रहता है। यह कानूनीअधिकार दूसरों के शोषण से बचाता है और अपने नवोन्मेषी विचारों को सुरक्षित रखने में मदद करता है। पेटेंट किसी देश के शासकीय प्राधिकरणों द्वारा प्रदान किया जाता है, जो उस आविष्कार के लिए नया, उपयोगी और औद्योगिक रूप से लागू होने की शर्त पर निर्भर करता है। अध्यक्षता डॉ. डीडी बेेदिया ने की। व्याख्यान में कीर्ति पटेल, राजीव सिंह व अन्य संकाय सदस्य तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / ललित ज्वेल

