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झाबुआ: जिले के किसानों को नवीन एवं उन्नत तकनीक तथा नवाचारों से लाभान्वित किया जाएगा

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झाबुआ: जिले के किसानों को नवीन एवं उन्नत तकनीक तथा नवाचारों से लाभान्वित किया जाएगा


झाबुआ, 6 दिसंबर (हि.स.)। कृषिगत क्षेत्र के टिकाऊ विकास हेतु रणनीतिक नियोजन एवं कार्ययोजना पर कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में विस्तृत समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में कृषि एवं संबद्ध विभागों के जिला अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि विभागों में संचालित योजनाओं के सफल क्रियान्वयन हेतु प्रभावी रणनीति तैयार करें, ताकि निर्धारित समयावधि में लक्ष्यों की पूर्णता सुनिश्चित की जा सके।

आयोजित बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत जितेन्द्र सिंह चौहान, उप संचालक कृषि एन. एस. रावत, परियोजना संचालक आत्मा जी. एस. त्रिवेदी, वरिष्ठ कृषि यंत्री डॉ. एस. के. जायसवाल, उप संचालक भू-अभिलेख दिलीप सिंह, उप संचालक उद्यानिकी, कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. जयवीर सोलंकी, जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के अधिकारी, ब्रांच मैनेजरगण, सहकारिता संबल संचालक, सहायक कृषि यंत्री एवं कृषि से संबंधित विभागों उद्यानिकी एवं सहकारिता के अधिकारी उपस्थित रहे।

बैठक के संबंध में जानकारी देते हुए सहायक कलेक्टर आशीष सिंह, ने शनिवार को बताया कि जिला कलेक्टर नेहा मीना ने शासन की कृषक कल्याणकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों का मैदानी स्तर तक सघन प्रचार-प्रसार किए जाने के निर्देश दिए, ताकि अधिक से अधिक किसान इन योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकें। शुक्रवार को आयोजित बैठक में कलेक्टर ने रबी मौसम में बीज की उपलब्धता के अनुसार बायो-फोर्टिफाइड गेहूं की उन्नत किस्मों की काश्त को बढ़ावा देने तथा किसानों के खेतों में उच्च मूल्य वाली फसलों के विस्तार पर बल दिया।

सहायक कलेक्टर के अनुसार बैठक के दौरान जिले के किसानों को नवीन एवं उन्नत तकनीक और नवाचारों से लाभान्वित करने पर विशेष जोर दिया गया। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, जैविक पद्धति से तैयार उपज को आमजन तक सुलभ कराने तथा किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने हेतु स्थानीय हाट-बाजारों में जैविक उत्पादों की पृथक दुकानें स्थापित करने के निर्देश दिए गए। इसके साथ ही कलेक्टर ने रबी सीजन में बीज एवं उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने, गुणवत्तायुक्त कृषि आदान सामग्री जैसे खाद, बीज, कीटनाशक आदि की आपूर्ति के लिए समय पर नमूना लेकर विश्लेषण हेतु प्रयोगशाला को भेजने तथा रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए। नरवाई प्रबंधन के बारे में किसानों में व्यापक प्रचार-प्रसार करने तथा कृषि यंत्रों के उपयोग को बढ़ावा देने पर भी विशेष बल दिया गया।

कृषि विभाग की विभागीय योजनाओं की समीक्षा के दौरान जहां मिट्टी के नमूनों का समय पर विश्लेषण कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उपलब्ध कराने और कृषि सिंचाई यंत्रों के लक्ष्यों की समय पर पूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश विकासखंड स्तरीय अधिकारियों को दिए गए, वहीं उद्यानिकी क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की गई। जिले में मधुमक्खी पालन के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार करने तथा उच्च मूल्य वाली फसलों के विस्तार हेतु कार्यशालाओं के आयोजन के निर्देश दिए गए। पीएमएफएमई योजना अंतर्गत प्रदत्त लक्ष्यों की पूर्ति हेतु बैंकों से समन्वय स्थापित कर लंबित प्रकरणों का निराकरण कराने के निर्देश भी दिए गए।

जिला कलेक्टर द्वारा पशुपालन विभाग को दुग्ध उत्पादन बढ़ाने, बैकयार्ड मुर्गीपालन के लक्ष्यों की पूर्ति तथा डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के अंतर्गत मिल्क-रूट क्षेत्रों में निष्क्रिय समितियों को सक्रिय करने हेतु विशेष प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए गए। साथ ही, किसान क्रेडिट कार्ड के निर्धारित लक्ष्यों की समयावधि में पूर्ति पर भी बल दिया गया। गौशालाओं के सुदृढ़ीकरण एवं विकास की आवश्यकता पर भी चर्चा हुई, साथ ही मत्स्य पालन विभाग को उत्पादन, विपणन और मूल्य संवर्धन गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा विभागीय योजनाओं के लक्ष्यों की समयसीमा में पूर्ति करने के निर्देश भी दिए गए।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. उमेश चंद्र शर्मा