मध्य प्रदेश में 30 मार्च से 30 जून तक चलेगा जल-गंगा संवर्धन अभियान

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मध्य प्रदेश में 30 मार्च से 30 जून तक चलेगा जल-गंगा संवर्धन अभियान


- अभियान में बनेंगे तालाब, पुराने तालाबों, बावड़ियों तथा कुँओं के जीर्णोद्धार के साथ सघन वृक्षारोपण भी किया जाएगा

भोपाल, 29 मार्च (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुरूप प्रदेश सहित भोपाल जिले में 30 मार्च से ‘जल-गंगा संवर्धन अभियान’ का शुभारंभ किया जा रहा है, जो आगामी 30 जून तक निरंतर जारी रहेगा। इस अभियान के अंतर्गत जहां एक ओर नए तालाबों का निर्माण किया जाएगा, वहीं दूसरी ओर पुराने तालाबों, बावड़ियों और कुँओं का जीर्णोद्धार किया जाएगा। साथ ही, जिलेभर में सघन वृक्षारोपण भी किया जाएगा। इस अभियान को जन आंदोलन का स्वरूप देने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है।

यह जानकारी कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह की अध्यक्षता में शनिवार को जिला पंचायत कार्यालय में हुई बैठक के दौरान दी गई। बैठक में संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। कलेक्टर ने बताया कि यह अभियान “जल है तो कल है” की भावना पर आधारित है और इसका उद्देश्य जल संरक्षण को जन-जन का विषय बनाना है। यह अभियान समाज के हर वर्ग की भागीदारी से संचालित होगा। पिछले वर्ष जिले में 101 अमृत सरोवर बनाए गए थे, जिन्हें अब राजस्व अभिलेखों में दर्ज किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष अभियान के तहत ‘अमृत सरोवर 2.0’ योजना में 19 नए तालाबों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अभियान के अंतर्गत तालाबों का सीमांकन कर राजस्व अभिलेखों में दर्ज किया जाएगा। अतिक्रमण चिन्हित कर उन्हें हटाने की कार्रवाई की जाएगी तथा मुनारे बनाकर सीमाओं को चिन्हित किया जाएगा। साथ ही, तालाबों का गहरीकरण जनभागीदारी से किया जाएगा। मनरेगा और अन्य योजनाओं के माध्यम से तालाबों का जीर्णोद्धार, सुदृढ़ीकरण और जल आवक बढ़ाने की दिशा में कार्य होंगे। इन तालाबों के पास पौधारोपण और रखरखाव के लिए उपयोगकर्ता समूहों का गठन किया जाएगा।

कलेक्टर ने बताया कि जिले की प्रमुख नदियों के स्रोत क्षेत्रों में जल संरक्षण और संवर्धन के लिए रिमोट सेंसिंग और फील्ड सर्वेक्षण के आधार पर कार्ययोजना बनाकर कार्य किए जाएंगे। इनमें ट्रेंच, गेबियन संरचना, वृक्षारोपण, चेकडेम और तालाब निर्माण शामिल हैं, जो स्थानीय समुदाय की भागीदारी से पूरे किए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में अनुपयोगी चेकडेम और स्टॉप डेम का सर्वेक्षण कर उनके पुनर्निर्माण की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। समाज की भागीदारी से गाद निकासी और ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक कुँओं की मुण्डेरों को सुव्यवस्थित किया जाएगा।

कलेक्टर सिंह ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत वर्षाकाल में परंपरागत जल स्रोतों के निकट वानिकी और उद्यानिकी पौधारोपण किया जाएगा। इसके लिए समीपस्थ नर्सरियों का चयन किया जाएगा, जिसमें स्वयं सहायता समूह (SHG) द्वारा संचालित नर्सरियों को प्राथमिकता दी जाएगी। अभियान में हर ग्राम से युवा महिला या पुरुष को ‘जलदूत’ बनाया जाएगा, जो जल स्रोतों के संरक्षण, शासकीय योजनाओं में हितग्राही चयन और जनजागरूकता में सहयोग करेंगे। इन जलदूतों का पंजीकरण भी किया जाएगा। साथ ही, “पानी चौपाल”, “पानी पंचायत” और “जल पंचायत” के आयोजन कर जल संरक्षण से जुड़ी जानकारी जनता को दी जाएगी और भविष्य की रणनीति तय की जाएगी।

उन्होंने कहा कि अभियान की शुरुआत ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के जल स्रोतों और देवालयों की सफाई से होगी। कार्य पूर्ण होने पर वरुण पूजन और जल अभिषेक किया जाएगा तथा इनके रख-रखाव की जिम्मेदारी स्थानीय समुदाय को सौंपी जाएगी। यह अभियान सरकार, समाज और संतों के संयुक्त प्रयास से संचालित होगा।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर