ग्वालियरः हर पेट्रोल पंप पर दो हजार लीटर डीजल व एक हजार लीटर पेट्रोल रिजर्व रखें

- आपात स्थिति के मद्देनजर कलेक्टर ने ली पेट्रोल पंप संचालकों की बैठक, कहा- सभी पेट्रोल पंपों पर सायरन भी लगाए जाएँ
ग्वालियर, 09 मई (हि.स.)। आपात स्थिति को ध्यान में रखकर जिले के प्रत्येक पेट्रोल पंप पर दो हजार लीटर डीजल व एक हजार लीटर पेट्रोल रिजर्व रखें। साथ ही पेट्रोल पंपों के फायर सिस्टम को भी भलीभाँति परख लें और यदि कहीं कोई कमी हो तो उसे दुरुस्त कर लें। यह निर्देश कलेक्टर रुचिका चौहान ने शुक्रवार को पेट्रोल पंप संचालकों की बैठक में दिए। उन्होंने कहा कि पेट्रोल पंप संचालक भी देश के साथ एकजुट होकर अपना योगदान दें। बैठक में अपर कलेक्टर टीएन सिंह भी मौजूद थे।
बैठक में कलेक्टर ने सभी पेट्रोल पंप संचालकों से अपने-अपने पेट्रोल पंपों पर सायरन लगाने के लिये भी कहा। उन्होंने कहा कि पेट्रोल पंप पर सायरन लगने से सड़क पर चलने वाले वाहन चालकों को सतर्क किया जा सके। कलेक्टर ने कहा कि यदि सायरन उपलब्ध न हों तो लाउड स्पीकर को ब्लूटूथ से जोड़कर सायरन की तरह बजाया जा सकता है। कलेक्टर के प्रस्ताव पर बैठक में मौजूद पेट्रोल पंप संचालकों एवं पेट्रोल पंप एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सहमति जताई। साथ ही कहा कि सभी पेट्रोल पंपों पर देश हित में डीजल व पेट्रोल रिजर्व रखेंगे। साथ ही सभी पेट्रोल पंप पर सायरन भी लगा लिए जाएंगे।
जिले में विषम से विषम आपात स्थिति से निपटने की तैयारी
जिले में विषम से विषम आपात स्थिति से निपटने की तैयारियाँ की जा रही हैं। इस सिलसिले में शुक्रवार को जिला प्रशासन, पुलिस एवं अन्य विभागों के अधिकारियों ने डीआरडीई (रक्षा अनुसंधान विकास स्थापना) में रासायनिक एवं जैविक हथियारों से बचने एवं दूसरों को बचाने की बारीकियाँ सीखीं। कलेक्टर रुचिका चौहान, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह एवं डीआरडीई के निदेशक डॉ. मनमोहन परीडा की मौजूदगी में आयोजित हुए प्रशिक्षण में डीआरडीई के वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार के रासायनिक एवं जैविक एजेंट से बचने के उपाय बताए। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम दो चरणों में आयोजित हुआ। प्रशिक्षण के बाद प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने रासायनिक व जैविक हमलों से बचाव के लिये पहने जाने वाली किट व उपकरणों की प्रदर्शनी भी देखी।
प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि यदि कहीं रासायनिक एवं जैविक हमला हुआ हो तो मुँह पर गीला रूमाल या कपड़ा बांधकर हवा के विपरीत दिशा से निकलना चाहिए। इसके बाद सुरक्षित स्थान पर पहुँचकर साबुन लगाकर अच्छी तरह मुँह-हाथ धोकर नहा लेना चाहिए। मुल्तानी मिट्टी व राख से हाथ व शरीर की सफाई भी अत्यंत कारगर रहती है। प्रशिक्षण में न्यूक्लियर रेडियो एक्टिव, बायोलॉजिकल व कैमिकल वैरिएंट के प्रकार एवं इनके असर को कम करने के उपायों पर प्रकाश डाला गया।
डीआरडीई की वैज्ञानिक डॉ. मनीषा साठे ने विभिन्न प्रकार के रासायनिक वैरिएंट के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शरीर पर कौन से कैमिकल के किस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं और इनसे कैसे बचा जा सकता है। डॉ. साठे ने बताया कि पाउडर, गैस व एरोसोल फॉर्म में कैमिकल हो सकते हैं।
डीआरडीई के वैज्ञानिक डॉ. रामकुमार धाकड़ ने विभिन्न प्रकार के जैविक वैरिएंट पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैमिकल व जैविक वैरिएंट का आभास होने पर मुँह पर गीला कपड़ा बाँधें और तत्काल हवा के विपरीत दिशा से बाहर निकलें। बहुत ही कम मात्रा का रसायन व जैविक वैरिएंट बड़ी क्षति पहुंचा सकते हैं। प्रोपर किट (कपड़े) पहने बगैर कैमिकल जैविक वैरिएंट फैलने पर नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम खुद सुरक्षित रहकर ही दूसरों की रक्षा कर सकते हैं। प्रशिक्षण के दौरान एडीएम टीएन सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कृष्ण लालचंदानी, निरंजन शर्मा व गजेन्द्र वर्धमान, जिले के सभी एसडीएम, एसडीओपी व सीएसपी तथा अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर