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उमरिया: पंचायतों में हो रहा मशीनों से काम, पलायन करने को मजबूर ग्रामीण

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उमरिया: पंचायतों में हो रहा मशीनों से काम, पलायन करने को मजबूर ग्रामीण


उमरिया, 28 सितंबर (हि.स.)। प्रदेश की सरकार ने पलायन पर प्रतिबंध लगाने के लिए गांवों मे मनरेगा के तहत काम खोल कर लोगों को काम देने का वादा किया था मगर काम तो खोला गया, लेकिन जमीनी स्तर पर सरकारी तंत्र ने मजदूरों से काम न कराकर मशीनों से काम कराया और मजदूर फिर से बेरोजगार होकर पलायन कर बाहर जाने को मजबूर है तो वहीं सी ई ओ जिला पंचायत जिले में भारी मात्रा में काम चालू होने का दावा कर रहे हैं, दूसरी तरफ कांग्रेस पलायन को आड़े हांथो ले रही है।

ये नजारा है रात में उमरिया रेल्वे स्टेशन का जहां जिले के ग्राम पंचायत बिलासपुर, हर्रवाह, मझौली खुर्द के लगभग सैकड़ों गरीब ग्रामीण आदिवासी पलायन कर रहे हैं। यहां के सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक मिलकर ग्रामीणों को काम न देकर मशीनों से काम करा लिया है, जिससे मजदूर आज एक बार फिर दूसरे जिलों और प्रदेशों का रुख कर रहे हैं। ये सभी आदिवासी मजदूर बताते हैं कि हमको काम नही मिल रहा हैं, पंचायत का सारा काम मशीनों से हो गया है इसलिए हम अपना पेट भरने के लिए बाल बच्चे लेकर मजदूरी करने जा रहे हैं, वहीं बच्चों की पढ़ाई लिखाई भी ठप करवा कर जा रहे हैं।

आखिर क्यों पलायन को मजबूर हो गए ये लोग....

बिलासपुर, हर्रवाह, मझौली कला के निवासी ये ग्रामीण बता रहै हैं कि साहब हमारे पंचायतों में सारा काम जेसीबी मशीन से होता है हम लोगों को कोई काम नही मिलता है, हम लोग मजबूर होकर अपना परिवार लेकर बीना, सागर, खुरई तरफ काम करने जा रहे हैं वहां हमको 350 रुपया रोज मिल जाता है तो हमारा गुजारा हो जाता है। अब हम अपने बच्चों को किसके भरोसे छोड़ें उनकी पढ़ाई - लिखाई भी बन्द करवा कर ले जा रहे हैं। वहीं जब बच्चों के भविष्य के बारे में पूंछा गया तो उन्‍होंने कहा कि जिंदा रहेंगे तो फिर पढ़ लेंगे, जब भूखे ही मर जायेंगे तो पढ़ाई किस काम की।

वहीं ग्राम बिलासपुर निवासी कक्षा 5 की छात्रा का कहना है कि हम अपने मम्मी-पापा के साथ काम करने जा रहे हैं यहां किसके पास रहेंगे, घर मे खाने को नही है, काम करेंगे तो खाने को मिलेगा, फिर आकर पढ़ लेंगे। जिले से होने वाले पलायन को लेकर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक अजय सिंह ने भी सवाल खड़े किये हैं और कहा है कि भाजपा केवल बात करती है, आज भी हजारों युवा प्रदेश से बाहर जाकर काम कर रहे हैं और बाद में ठगे भी जाते हैं। वहीं पंचायतों में काम नही मिलता है अधिकतर काम जेसीबी मशीन से हो जाता है इसलिए मजदूर अपना पेट भरने जिले से हर रोज बड़ी संख्या में पलायन कर रहें है।

इस संबंध में सीईओ जिला पंचायत उमरिया अभय सिंह ओहरिया से बात की गई तो उन्होंने जिले में चल रहे कार्यों की लम्बी चौड़ी सूची गिनवाते हुए कहा कि अभी वर्तमान में हमारे यहां की 236 ग्राम पंचायतों में 11039 काम चल रहे हैं और अभी 3199 आवास का काम चालू होने वाला है, हमारे पास काम की कमी नही है और जो भी काम मांगेगा हम उपलब्ध करवायेंगे, एक पंचायत में लगभग 47 से 48 काम हैं तो कहीं पर काम की कमी नही है। साथ ही यह भी कह दिये कि यदि पलायन की स्थिति है और कोई जा रहा है तो किस कारण जा रहा है, हम लोग नही रोक सकते।

गौरतलब है कि आदिवासियों का मसीहा कहलाने वाले मुख्यमंत्री के प्रदेश में उन्ही के खास लोग भूखों मरने और पलायन करने को मजबूर हों और जहां बच्चे पढ़ाई छोड़ कर माता पिता के साथ जाने को मजबूर हो वहां शिक्षा का स्तर क्या होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। दूसरी तरफ उनके गुर्गे मलाई छान रहे हों और जिले के जिम्मेदार अधिकारी कह रहे हों कि इस पलायन के लिए हम क्या कर सकते हैं तो ऐसे में अन्य लोग क्या ही उम्मीद कर सकते हैं वहीं दूसरी तरफ देखा जाय तो जो बच्चे स्कूल छोड़ कर जा रहे हैं उनके नाम का मध्यान्ह भोजन भी स्कूलों में निकलता रहेगा जो एक बड़ा घोटाला कहलायेगा।

हिन्दुस्थान समाचार / सुरेन्‍द्र त्रिपाठी