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राजगढ़ः नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में उत्कृष्ट विवेचना व अभियोजन पर थानाप्रभारी, एडीओपी को प्रशंसापत्र

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राजगढ़ः नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में उत्कृष्ट विवेचना व अभियोजन पर थानाप्रभारी, एडीओपी को प्रशंसापत्र


राजगढ़, 14 दिसम्बर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के करनवास थाना क्षेत्र में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में 16 दिन में पीड़ित को न्याय मिला, जिसमें 62 वर्षीय आरोपित को आजीवन कारावास की सजा हुई है। प्रकरण में पुलिस की त्वरित विवेचना व अभियोजन की सशक्त पैरवी पर रविवार को जिले के प्रभारी मंत्री चैतन्य काश्यप ने थानाप्रभारी और एडीओपी को प्रशंसा पत्र प्रदान किया।

जानकारी के अनुसार 10 मार्च 2025 को करनवास थाना क्षेत्र के ग्राम देवलखेड़ा के जंगल में नाबालिग बालिका के साथ दुष्कर्म की घटना घटित हुई, जिसमें 18 अगस्त को पीड़ित की रिपोर्ट पर प्रकरण पंजीबद्व किया गया। मामले में 62 वर्षीय गोरधन पुत्र रामलाल जाटव निवासी देवलखेड़ा के खिलाफ धारा 64(2)(आई), 64(2)(एम), 65(1), 351(3) बीएनएस, 5(जे)(एल)/6 पाॅक्सो एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया गया। प्रकरण की विवेचना एसआई कर्मवीर सिंह थानाप्रभारी करनवास द्वारा की गई। मामले में पुलिस ने पीड़ित के कथन, वीडियोग्राफी, मेडिकल परीक्षण, काउंसलिंग सहित अन्य कानूनी प्रक्रियाओं को प्राथमिकता से पूर्ण किया। पीड़ित का जिला चिकित्सालय राजगढ़ में परीक्षण कराया गया, जहां से उसे सोनोग्राफी के लिए भोपाल रेफर किया गया। पीड़ित को बाल कल्याण समिति राजगढ़ के समक्ष प्रस्तुत कर काउंसलिंग कराई गई, जिससे पीड़ित की मानसिक स्थिति को संबल मिल सके।

विवेचना के दौरान वरिष्ठ अफसरों के मार्गदर्शन में गठित टीम ने मुखबिर की सूचना पर 19 अगस्त को आरोपित को देवलखेड़ा के जंगल से हिरासत में लिया। आरोपित का मेडिकल परीक्षण कर डीएनए सेंपल सुरक्षित किया गया साथ ही उसे अदालत में पेश कर जेल दाखिल किया गया। जांच के दौरान शासकीय माध्यमिक विद्यालय देवलखेड़ा से प्राप्त अभिलेखों के अनुसार पीड़ित की आयु 14 वर्ष तीन माह पाई गई। वहीं सोनोग्राफी रिपोर्ट में ज्ञात हुआ कि पीड़ित के गर्भ में 26 सप्ताह एक दिन का भ्रूण पाया गया, जिससे मामला अत्यंत संवेदनशील और गंभीर हो गया। पीड़ित के स्वास्थ्य और गर्भावस्था को देखते हुए मामला अपर सत्र न्यायालय ब्यावरा एवं तत्पश्चात उच्च न्यायालय इंदौर तक पहुंचा। उच्च न्यायालय के निर्देश पर चिकित्सकीय विशेषज्ञ टीम का गठन कर विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। कानूनी औपचारिकताओं के बाद उच्च न्यायालय द्वारा आवश्यक चिकित्सकीय कार्रवाई की अनुमति प्रदान की गई।

प्रकरण में आरएफएसएल भोपाल की डीएनए रिपोर्ट के अनुसार नवजात शिशु का डीएनए प्रोफाइल, पीड़ित एवं आरोपित से मेल खाता पाया गया, जिससे आरोपित के अपराध की वैज्ञानिक पुष्टि हुई। पुलिस द्वारा 10 अक्टूबर को अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया। इसके बाद प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश रजनी प्रकाश बाथम की कोर्ट में मामले में निरंतर सुनवाई हुई। प्रकरण में महज 16 दिन में पीड़ित, उसके परिजन, चिकित्सक, फाॅरेंसिक विशेषज्ञ, पंच साक्षी, पुलिस अफसर सहित महत्वपूर्ण गवाहों के कथन दर्ज किए गए। न्यायालय ने साक्ष्य, गवाह एवं डीएनए रिपोर्ट के आधार पर आरोपित गोरधन जाटव को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह निर्णय न केवल पीड़िता को न्याय दिलाने वाला है, बल्कि समाज के लिए कड़ा संदेश है कि नाबालिगों के विरुद्ध अपराध करने वालों को किसी भी स्थिति में बख्शा नही जाएगा। प्रकरण में उत्कृष्ट विवेचना करने पर करनवास थानाप्रभारी एसआई कर्मवीरसिंह और उत्कृष्ट अभियोजन के लिए एडीओपी ब्यावरा डाॅली गुप्ता को प्रभारी मंत्री चैतन्य काश्यप के द्वारा प्रशंसा पत्र प्रदान किया गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मनोज पाठक