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मंदसौरः वर्षीतप के 18 तपस्वियों का आर्यरक्षित तीर्थ धाम पर हुआ सामूहिक पारणा

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मंदसौरः वर्षीतप के 18 तपस्वियों का आर्यरक्षित तीर्थ धाम पर हुआ सामूहिक पारणा


मंदसौर, 30 अप्रैल (हि.स.)। श्री केशरिया आदिनाथ जैन श्वेताम्बर श्रीसंघ मंदसौर द्वारा बुधवार को अक्षय तृतीया पर्व के उपलक्ष्य में चन्द्रपुरा मेन रोड़ स्थित श्री आर्यरक्षित सूरि जैन तीर्थधाम में सामूहिक वर्षीतप पारणा उत्सव का आयोजन किया गया। आचार्य विश्वरत्नसागरजी सूरिश्वरजी म.सा. आदि ठाणा 4 की पावन निश्रा में यह सामूहिक पारणा उत्सव व वर्षीतप के 18 तपस्वियों का एक साथ बहुमान कार्यक्रम आयोजित किया गया।

श्री केशरिया आदिनाथ श्रीसंघ एवं तपस्वी बहुमान के लाभार्थी अशोक कुमार, सौरभकुमार डोसी परिवार ने वर्षीतप करने वाले सभी 18 तपस्वियों का माला पहनाकर एवं कांसे (विशिष्ट धातु) की थाली भेंटकर उनका सम्मान किया। तपस्वियों के बहुमान में 18 तपस्वियों के परिवारजन एवं रिश्तेदार भी विशेष रूप से शामिल हुए और उन्होंने तपस्वियों के तप की खूब खूब अनुमोदना की। बहुमान के उपरांत इशु (गन्ना) रस से सभी तपस्वियों का पारणा कराया गया। जिसमें भी बड़ी संख्या में धमार्लुजन शामिल हुये।

आचार्य विश्वरत्नसागरजी सूरिश्वरजी म.सा. ने श्री आर्यरक्षित सूरि जैन तीर्थ धाम में आयोजित धर्मसभा में कहा कि भगवान श्री आदिनाथजी के समय से वर्षीतप की परम्परा जैन धर्म में चली आ रही है। प्रभु आदिनाथजी ने दीक्षा ली थी उस समय जनमानस को शुद्ध आहार का ज्ञान नहीं था इसी कारण आदिनाथजी को 400 दिवस तक शुद्ध आहार नहीं मिला। चौथे आरे का वह शुरूआती दौर था उस समय मनुष्य का आयु व शरीर कठोर तप करने के योग्य था इसी कारण ऋषभदेवजी 400 दिवस तक बिना आहार के रहे। 400 दिवस पूर्ण होने पर उनका हस्तिनापुर में आगमन हुआ उस समय श्रेयांसकुमार ने उन्हें इशु (गन्ने) के रस से पारणा कराया।

आदिनाथ प्रभु ने अक्षय तृतीया के दिन 400 दिवस बाद पाारणा किया था इसी कारण अक्षय तृतीया पर्व विशिष्ठ है। समय व परिस्थिति के अनुसार अब एक साथ 400 दिन निराहार रहना संभव नहीं है इसी कारण दो वर्ष में एक वर्षीतप की तपस्या होती है। बहुत ही प्रसन्नता का विषय है कि केशरिया आदिनाथ श्रीसंघ ने 18 तपस्वियों के पारणे का कार्यक्रम रखा है जो कि अनुकरणीय है। धर्मसभा में साध्वी मोक्षज्योति म.सा. भी पाट पर विराजित थे। धर्मसभा में जैन संत कीर्तिरत्नसागरजी म.सा. (गणिवर्य) ने भी अपने विचार रखे। संचालन श्रीसंघ अध्यक्ष दिलीप डांगी ने किया तथा आभार सचिव संदीप धींग ने माना।

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हिन्दुस्थान समाचार / अशोक झलोया