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सीएजी की रिपोर्ट : जेएसएमडीसी के कारण हुई 70.92 करोड के राजस्व की हानि

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सीएजी की रिपोर्ट : जेएसएमडीसी के कारण हुई 70.92 करोड के राजस्व की हानि


रांची, 11 दिसंबर (हि.स.)। सीएजी की ओर से गुरुवार को जारी किए गए रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2017-22 के दौरान झारखंड में चालू बालू घाटों के लिए मान्ये पटटाधारी के रूप में झारखंड राज्यू खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) को प्रक्रियाओं का पालन करना था और प्रति एकड 30 हजार रुपये की दर से लगान या हटाए गए बालू की मात्रा का स्वाममित्वा (जो अधिक हो) का भुगतान करना था।

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जेएसएमडीसी ने राज्ये के 608 बालू घाटों में से 389 घाटों को चालू करने का प्रयास किया, लेकिन केवल 21 घाटों को ही सफलतापूर्वक चला सका। इस प्रकार वर्ष 2017-22 के दौरान 368 बालू घाटों को नहीं चलाया जा सका। इस कारण 368 गैर परिचालित घाटों के कारण राज्या सरकार को नवंबर 2019 से मार्च 2022 के दौरान इन घाटों (9,782.55 एकड क्षेत्र) के लिए 70.92 करोड रुपये के राजस्व की हानि हुई।

बालू की बिक्री से प्राप्त आय का एक तिहाई से अधिक किया खर्च आईटी सोल्यूशन पर

सीएजी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि झारखंड राज्य् खनिज विकास निगम ने वर्ष 2018-22 के दौरान झारखंड के केवल 22 बालू घाटों के पर हुई बालू की बिक्री से प्राप्त् आय का एक तिहाई से अधिक खर्च आईटी सोल्यूशन पर कर दिया। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार जेएसएमडीसी ने इस अवधि में केवल 22 बालू घाटों के लिए खनन योजना को तैयार की और इसके लिए पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त की थी। लेकिन इस दौरान अधिकतम 16 बालू घाट ही चालू थे। वहीं जेएसएमडीसी ने 200 घाटों के चालू करने के लिए आईटी सोल्यूशन की व्यवस्था की और इसपर

अत्यधिक खर्च किया। सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि जेएसएमडीसी चाहता तो बालू घाटों के नेटवर्क लगाने की समय सीमा को संशोधित कर सकता था और उपयोगकर्ता स्वीकृति परीक्षण या छोटे पैमाने पर आईटी सोल्यूशन को लागू कर सकता था। साथ ही मुख्यालय स्तर पर कम संख्या में आईटी कर्मियों को तैनात कर सकता था, लेकिन जेएसएमडीसी ने ऐसा नहीं किया और इससे राजस्व की हानि हुई।

उल्‍लेखनीय है कि सीएजी की रिपोर्ट को वित्‍त मंत्री राधा कृष्‍ण किशोर ने गुरुवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सदन के पटल पर रखा।

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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak