तिहाड़ से फरार कैदी डैनियल की कहानी जिसने तिहाड़ के ऊपर से प्लेन से बरसाई थी, चॉकलेट और सिगरेट

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आज की कहानी आजादी के 15 साल बाद की है. जी हां ये कहानी साल 1962 की है. जब हमारे देश के खुफिया विभाग को एक गुप्त जानकारी मिलती है कि आजादी के बाद भी भारत के कई स्टेट के राजा महाराजा हैं जो अपने पास हथियार कारतूस का जखीरा रख रहे हैं जो कि स्मगलिंग का है. अब सवाल ये था कि इनको हथियार कौन दे रहा है ? इस बात की जांच शुरु हुई तो जांच एजेंसियों को एक अहम सुराग हाथ लगा और साल 1962 में खुफिया विभाग की टीम राजधानी दिल्ली के चर्चित अशोका होटल में छापा मारती है. वहां एक आदमी ठहरा था जिसका नाम था कि डैनियल हेली वेलकॉंट जो कि अमेरिकन सिटिजन था. ये बेहद ही रईस आदमी था. इस विदेशी शख्स के कब्जे से एक बॉक्स मिलता है जिसमें करीब 766 जिंदा कारतूस मिलते हैं.  ये मामला बेहद ही गंभीर था लिहाजा डैनियल को क्राइम ब्रांच की टीम हिरासत में लेती और जाँच आगे बढ़ी तो पता चला कि सफदरजंग एअरपोर्ट पर डैनियल का 4 सीटर प्राइवेट प्लेन खड़ा है. इस प्लेन का नाम था पाइपर अपाचे। दिल्ली की क्राइम ब्रांच की टीम ने जब प्लेन की तलाशी ली तो उसमें 40 बक्से मिलते हैं. हर बक्से में 250 जिन्दा कारतूस थे. जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को पकड़कर तिहाड़ भेजा दिया। ये गिरफ्त में आया आरोपी बेहद अमीर और रसूखदार था. कुछ महीनों बाद ही उसको जेल से जमानत मिल गई. बेहद ही हैरानी की बात ये थी कि डैनियल के ऊपर टाटा कंपनी का 60 हजार रुपए बकाया था. उसके जमानत की शर्त ये थी कि जब तक वो टाटा को 60 हजार का भुगतान नही करता तब तक वह देश छोड़कर कहीं जा नही सकता था. इधर दिल्ली पुलिस डैनियल की बेल कैंसिल करवाना चाहती थी और उधर आरोपी देश छोड़कर भागना चाहता था. डैनियल टाटा कम्पनी का भुगतान नहीं कर पा रहा था. लिहाजा उसने भारत से भागने का प्लान बनाया लेकिन पाकिस्तान जाते समय बाघा बार्डर पर पकड़ा जाता है. पुलिस दोबारा आरोपी को जज के सामने में पेश करती है और सवाल उठाती है कि आखिर क्यों ये आरोपी पाकिस्तान भाग रहा था? न्यायालय में केस चलने लगा. इसी दौरान चीन का भारत के साथ जंग भी जारी थी. डैनियल ने तत्कालीन भारत सरकार से कहा कि मेरा कई प्लेन है. उसने प्रस्ताव रखा कि अगर भारत चाहे तो मेरे प्लेन को इस्तेमाल कर सकता है. जिसके बाद न्यायालय ने कहा कि डैनियल तुम आजाद हो लेकिन तुम्हे टाटा के 60 हजार चुकाने होंगे. तब ही तुम देश छोड़कर बाहर जा सकोगे. इसी बीच डैनियल का पाइपर अपाचे लंबे वक्त से सफदरजंग एअरपोर्ट पर ही खड़ा था. डैनियल ने न्यायालय में अर्जी लगाई कि मेरा प्राइवेट प्लेन खड़ा है उसके इंजन को स्टार्ट करना जरुरी है अगर ऐसा नही किया तो वो प्लेन खराब हो जाएगा. न्यायालय ने तकनीकी एक्सपर्ट से सलाह लेने के बाद आदेश दिया कि डैनियल पुलिस कस्टडी में रोज सुबह 6 बजे प्लेन के इंजन को स्टार्ट करने सफदरगंज एअरपोर्ट जा सकता है. जिसके बाद वो रोज एअरपोर्ट जाता प्लेन का इंजन चालू करता और वापस आ जाता था. एक रोज़ यानि कि 23 सितबंर साल 1963 को डैनियल सफदरगंज एअरपोर्ट गया प्लेन का इंजन स्टार्ट किया और प्लेन को आगे बढ़ाया. प्लेन को रनवे तक ले गया और प्लेन स्पीड से दौड़ने लगा इस बीच सुरक्षा में आया पुलिसकर्मी भी पीछे प्लेन के पीछे दौड़ने लगा, लेकिन तब तक देखते ही देखते प्लेन टेक ऑफ कर चुका था. असल में प्लेन हवा में उड़ने लगा. थोड़ी देर के बाद ये प्लेन तिहाड़ जेल का रुख करता है. इस बीच पुलिस को भी खबर हो जाती है. तत्काल एटीसी को खबर दी जाती है. डैनियल का प्लेन तिहाड़ पर तीन चक्कर काटता है ऊपर से खूब अधिक नीचे चाकलेट और सिगरेट गिराता है. जिसके बाद डैनियल प्लेन का डाइरेक्शन पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की तरफ मोड़ देता है. जब तक भारत के फाइटर डैनियल का पीछा करते वो प्लेन पाकिस्तान में लैंड कर चूका था. जहाँ जाकर डैनियल मीडिया के सामने एक प्रेस कांफ्रेंस करता है और भारत सरकार पर आरोप लगाता है कि उसको लाल फीताशाही के तहत बेगुनाही पर भी तिहाड़ जेल भेजा गया था. अब अहम सवाल ये उठता था कि वो भारत आया क्यों था? आख़िरकार तिहाड़ के ऊपर सिगरेट चाकलेट क्यों गिराए? ये था कौन? जांच में यह बात सामने आई कि डैनियल अमेरिका के टैक्सास शहर में पैदा हुआ था. सेकेंड World War के समय उसने अमेरिकन नेवी ज्वाइन कर लिया।World War के बाद वो सैंनफ्रांसिसको पहुंच गया जहां पर उसने एक अमीर लड़की से शादी कर ली. जिसके बाद शातिर डैनियल ने ट्रांस अटलांटिक के नाम से Air lines शुरु की. उसके ऊपर ये आरोप लगा था कि रिफ्यूजी को लाने ले जाने के लिए उसने प्लेन का इस्तेमाल किया जाता था और उसके ऊपर कीमती जानवरों की स्मगलिंग का भी आरोप था. सवाल ये उठता है कि आखिर डैनियल के तार भारत से कैसे जुड़े? दरअसल साल 1962 में एअर इंडिया ने डैनियल की कंपनी ट्रांस अटलांटिक को काट्रेंट दिया कि अफगानिस्तान में भारत का काम चल रहा है जिसमें इसके डैनियल के कार्गो विमानों की जरुरत है. डैनियल के प्लेन भी काम में लग गए.  इसी बीच उसने भारत आकर इसने देखा कि देश के राजा महाराजाओं को गोली हथियार की जरुरत है. लिहाजा वह तस्करी करने लगा. तभी पुलिस को जानकारी मिली और फिर ये अशोका होटल से गिरफ्तार हुआ था. तिहाड़ में रहने के दरमियान तिहाड में कई कैदियों से डैनियल की अच्छी दोस्तो हो गई थी और यही वजह है कि फरार होने के दरमियान उसने जेल के दोस्तों के लिए चॉकलेट और सिगरेट बरसाए थे. गौरतलब है कि कैदियों ने खूब सिगरेट और चॉकलेट लूटे. भारत से भागने के बाद डैनियल ने फिर से स्मगलिंग का धंधा दोबारा शुरु कर दिया. भारत की एजेंसी डैनियल के तलाश में जुटी थी. तारीख 8 जून 1964 पाकिस्तान की राजधानी कराची से एक विमान उड़ान भरता है. इस विमान को ईरान जाना था लेकिन यह अफगानिस्तान होते हुए भारत की तरफ रुख कर लेता है. विदित है कि ये प्लेन भारत की सीमा में दाखिल हो जाता हैं और बांबे से 80 किलोमाटर दूर पहुंच जाता है. दरअसल यहां एक व्यक्ति इनको हरे रंग के कपड़े से इशारा करता और इन्हे प्लेन वहीं उतारना था लेकिन वो व्यक्ति नहीं मिला. इसी बीच प्लेन का फ्यूल खत्म हो रहा था. लिहाजा प्लेन नोज के बल जा गिरा और बूरी तरह दुर्घनाग्रस्त हो गया. किसी तरह दोनो प्लेन से निकलकर बाहर आए. वहां पर लोगों की भीड़ लग गई और जनता ने दोनों को तत्काल पुलिस के हवाले कर दिया. जहां से इन दोनों को दापोली पुलिस स्टेशन ले जाया गया. प्लेन के दोनों पायलट पुलिस को बताते हैं कि उन्होने अमृतसर के लिए उड़ान भरी है. उन्होंने बताया कि उन्हे प्लेन से जरुरी सामान निकालना है. दरअसल इस प्लेन में दो बैग थे जिसमें 700-800 स्विस घड़ियां रखी थीं. इन दोनों को पुलिस जिला मजिस्ट्रेट के सामने पेश करती है. मजिस्ट्रेट को भी ये दोनों आरोपी वही अमृतसर की कहानी सुनाते हैं और मांग करते हैं कि हमारे प्लेन की निगरानी की जाए. जिसके बाद ये दोनों घड़ियों से भरे उस बैग लेकर मायानगरी मुंबई पहुच जाते हैं. ये दोनों सैंटाक्रूज पहुचते हैं. गिर पाकिस्तान की फ्लाइट से पाकिस्तान पहुंच जाते हैं. इधर ये जांच शुरु हुई कि आखिर ये प्लेन किसका है? जब तक पुलिस कुछ समझ पाती दोनों पाकिस्तान से तत्काल लंदन पहुंच जाते हैं. इसी बीच पाइलट कैप्टन मैकलिस्टर का जमीर जाग जाता है और वो भारत की एंबेसी पहुंच जाता है. भारतीय एंबेसी को बताता है कि जो प्लेन लेकर ये भारत गया था उसका को-पायलट का असली नाम हैली है वो ही डैनियल हैली जो भारत को 2 बार चकमा दे चुका था. जिसके बाद डैनियल हैली को लंदन में हिरासत में ले लिया गया. डैनियल हैली के पकड़े जाने की जानकारी के बाद भारतीय एजेंसी की टीम तत्काल भारत से लंदन पहुंची लेकिन अफसोस डैनियल को हिरासत में नहीं ले पाई. कुछ ही रोज में हिरासत से छूटनवे के बाद डैनियल हैली एक बार फिर से तस्करी के धंधे में लगा रहा. इसी बीच डैनियल भारत  पड़ोसी मुल्क श्रीलंका में स्मगलिंग का सामान खपाने पहुंचा था और वहां से वह किसी तरह चेन्नई पहुच गया. जिसके बाद 2 अगस्त साल 1967 को भारतीय एजेंसियों ने डैनियल को चेन्नई हिरासत में लिया. न्यायालय में डैनियल पर मुकदमा चला. सभी धाराएं लगाई गई और कोर्ट नें उसे 7 साल की सजा सुनाई. भारत में 7 साल की सजा काटने के बाद डैनियल हैली जेल से रिहा हो गया. लोग बताते हैं कि जेल में उसने कई कैदियों से कहा था कि वो CIA का एजेंट है. डैनियल की रिहाई के बाद उसका केस तो बंद हो गया लेकिन लोगो के मन में आज भी कई सवाल मुंह फैलाए खड़े थे. मसलन क्या वो एक बड़ा स्मगलर था? एअरलाइंस का मालिक या फिर वो एक CIA एजेंट था? दुनिया के सामने खबर ये भी आई की साल 2000 में अमेरिका में ड्रग्स गैंग्स के साथ शूटआउट में स्मगलर डैनियल की मौत हो गई. लोगों के बीच डैनियल की पहेली आज भी एक रहस्य बनी हुई है?