नेपाल में शुरू हुई बाघों की गणना, 2300 कैमरे लगाए गए
काठमांडू, 15 दिसंबर (हि.स.)। नेपाल बाघों की सटीक संख्या का पता लगाने के लिए इस बार वैज्ञानिक पद्धति से बाघ की गणना सोमवार से शुरू की जाएगी। राष्ट्रीय उद्यान तथा वन्यजीव संरक्षण विभाग के अनुसार चितवन–पर्सा, बांके–बर्दिया और शुक्लाफांटा–लालझाड़ी कॉरिडोर को तीन ब्लॉक में विभाजित कर 2300 कैमरे लगाए गए हैं।
इन ब्लॉकों के अंतर्गत राष्ट्रीय उद्यान, कॉरिडोर तथा आसपास के मध्यवर्ती संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं। लगभग 8,400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 2,300 तक ग्रिड बनाकर स्वचालित कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे। नेपाल में हर चार वर्ष में बाघों की गणना की जाती है।
चितवन–पर्सा ब्लॉक में पहले चरण में कैमरे लगाकर गणना शुरू की जाएगी। वरिष्ठ पारिस्थितिकीविद् एवं राष्ट्रीय बाघ गणना तकनीकी समिति के संयोजक हरिभद्र आचार्य ने बताया कि दो वर्ग किलोमीटर के एक ग्रिड में दोनों दिशाओं से एक-एक जोड़ी कैमरे लगाए जाएंगे।
ब्लॉक का क्षेत्र बड़ा होने के कारण इसे तीन खंडों में विभाजित कर क्रमशः कैमरे स्थानांतरित करते हुए गणना की जाएगी। यहां 800 से 900 तक ग्रिड हैं। 250 से 300 ग्रिड वाले एक खंड के लिए लगभग 500 से अधिक कैमरों की आवश्यकता होगी। कैमरों की सीमित उपलब्धता के कारण एक खंड का कार्य पूरा होने के बाद ही अगले खंड में गणना शुरू की जाएगी। इस ब्लॉक की गणना पूरी होने में दो महीने से अधिक समय लगने का अनुमान है।
बांके–बर्दिया ब्लॉक को पांच खंडों में बांटा गया है। बर्दिया और बांके में दो-दो तथा दांग में एक खंड बनाया गया है। लगभग 800 ग्रिड को पांच खंडों में विभाजित कर बर्दिया खंड से गणना शुरू की जाएगी। राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण कोष (एनटीएनसी) बर्दिया के प्रमुख अजित तुम्बाहाम्फे के अनुसार इस ब्लॉक के लिए लगभग 500 स्वचालित कैमरों की आवश्यकता है, जिनमें से अब तक 300 से अधिक कैमरे उपलब्ध हो चुके हैं। बर्दिया में 5 दिन बाद से गणना शुरू होगी।
शुक्लाफांटा–लालझाड़ी कॉरिडोर को एक ही ब्लॉक मानकर गणना की जाएगी। यहां 260 ग्रिड हैं। चितवन–पर्सा ब्लॉक की गणना पूरी होने और कैमरे उपलब्ध होने के बाद शुक्लाफांटा में कार्य शुरू किया जाएगा।
एक स्थान पर कैमरे 15 रातों तक लगाए जाते हैं। कैमरे लगाने और हटाने में लगभग एक सप्ताह लगने के कारण किसी एक ब्लॉक की गणना पूरी करने में कम से कम 22 दिन लगते हैं। सभी क्षेत्रों में एक साथ गणना करने पर जनशक्ति और कैमरों की अधिक आवश्यकता पड़ती है, इसलिए छोटे-छोटे खंड बनाकर चरणबद्ध तरीके से गणना की जा रही है।
एनटीएनसी के सदस्य सचिव डॉ. नरेश सुवेदी के अनुसार वर्ष 2022 में 1,843 कैमरों का उपयोग किया गया था, जबकि इस बार 2,300 कैमरे लगाए जाएंगे। पौष से शुरू होने वाली गणना चैत्र तक चलेगी। इसी अवधि में महाकाली से कोशी तक बाघों की अक्यूपेंसी सर्वे भी की जाएगी, जिसमें बाघों के दिखने या उनके पहुंचने वाले क्षेत्रों में मल, मूत्र, पदचिह्न और अन्य संकेतों के आधार पर सर्वे किया जाएगा।
राष्ट्रीय उद्यान तथा वन्यजीव संरक्षण विभाग के समन्वय में राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण कोष, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और जेडएसएल सहित विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से यह गणना की जाएगी। देशभर से लगभग 250 प्रशिक्षित कर्मी इस कार्य में तैनात किए जाएंगे। आवश्यकता अनुसार नागरिक वैज्ञानिकों, स्थानीय निवासियों, विद्यार्थियों और डिवीजन वन कार्यालय के कर्मचारियों को भी शामिल किया जाएगा।
वन क्षेत्र के पास सुरक्षित स्थानों पर टेंट लगाकर रहकर कैमरों की स्थिति की निगरानी, मेमोरी कार्ड का संकलन और रिपोर्टिंग की व्यवस्था की गई है। कैमरे तिथि, समय और स्थान सहित तस्वीरें लेते हैं, जिससे आंकड़ों का विश्लेषण आसान होता है। रात में कैमरे स्वतः फ्लैश जलाकर फोटो लेते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास

