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नेपाल में प्रचंड और ओली के बयानों से वाम एकता के प्रयास को धक्का लगा

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काठमांडू, 24 अप्रैल (हि.स.)। कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने पर काठमांडू के एक कार्यक्रम में एक ही मंच पर बैठे प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल प्रचंड और एमाले के अध्यक्ष केपी ओली के वाम एकता को लेकर दिए बयानों से वाम एकता के प्रयास को धक्का लगा है।

नेपाल की दो प्रमुख कम्युनिस्ट पार्टी के बीच गठबंधन सरकार के बाद से एक बार फिर वाम एकता की चर्चा शुरू हो गई थी। दोनों दलों के नेता उत्साहित होकर वाम एकता का राग अलापने लगे थे। इस बीच कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम में एमाले अध्यक्ष ओली ने कहा कि वाम एकता की बात बेबुनियाद है। कई टुकड़ों में बंटे कम्युनिस्ट दलों का एक जगह आने को असंभव बताते हुए ओली ने कहा कि पिछली बार हुई एकता दो वर्ष भी नहीं चल पाई, इस कटु अनुभव को ध्यान में रखते हुए एमाले पार्टी अब वाम एकता का कोई प्रयास नहीं करेगी।

उन्होंने कहा कि नेपाल में मल्टी पार्टी डेमोक्रेटिक सिस्टम होने के कारण यहां वाम एकता की बात करने से ध्रुवीकरण होने का खतरा है। इसलिए वाम एकता की बात करना या समाजवादी मोर्चा की बात करना ही गलत है। उन्होंने कहा कि यह गठबंधन नहीं, सत्ता के लिए आवश्यक बहुमत पहुंचाने के लिए किया गया समीकरण है। ओली ने कहा कि पार्टी का नाम रख लेने मात्र से कोई कम्युनिस्ट नहीं हो जाता है। दो तिहाई बहुमत की सरकार को गिराने के लिए धुर विरोधी दक्षिणपंथी शक्तियों के साथ हाथ मिलाने वाले को कम्युनिस्ट नहीं कहा जा सकता है।

वाम एकता पर ओली के कड़े विरोध के बाद परेशान दिखे प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा कि हमें पिछली गलतियों से सबक लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे पता है कि पिछले कड़े अनुभव के बाद वाम एकता तत्काल संभव नहीं है लेकिन हमें एकता का प्रयास नहीं छोड़ना चाहिए। प्रचंड ने कहा कि भले ही एमाले ने अपनी पार्टी के दस्तावेज में वाम एकता नहीं करने की बात लिख दी हो लेकिन कार्यकर्ताओं में उत्साह बनाए रखने के लिए भी वाम एकता की बात को नहीं छोड़ना चाहिए। प्रचंड ने कहा कि जल्दबाजी में नहीं पर इस बार पूरा गृहकार्य कर एकता को निचले स्तर तक पहुंचाना ही होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/पंकज दास/सुनीत