नेपाल में राजनीतिक दलों के चंदा लेने पर रोक का प्रस्ताव

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नेपाल में राजनीतिक दलों के चंदा लेने पर रोक का प्रस्ताव


काठमांडू, 22 मार्च (हि.स.)। नेपाल निर्वाचन आयोग ने संसद को चुनाव संबंधी कानून में व्यापक फेरबदल की सलाह देते हुए राजनीतिक दलों के किसी भी प्रकार के चंदा लेने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया है। नए प्रस्तावित कानून में कहा गया है कि सरकार ही चुनाव खर्च का प्रबंधन करे। प्रमुख निर्वाचन आयुक्त दिनेश थपलिया ने इसकी पुष्टि की है। संसद की राज्य व्यवस्था संसदीय समिति के समक्ष आयोग के पदाधिकारियों ने इस संबंध में आज चुनाव संबंधी कानून में संशोधन विधेयक पर अपना पक्ष रखा। साथ ही विधेयक को संसद में पेश करने का आग्रह किया।

समिति के समक्ष प्रमुख निर्वाचन आयुक्त थपलिया ने कहा कि राजनीतिक दलों को किसी भी व्यक्ति, संस्था, व्यापारी या अन्य किसी से भी आर्थिक सहायता लेने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। सभी राजनीतिक दलों का चुनाव खर्च के लिए निर्धारित धन सरकार उपलब्ध कराए, जिससे चुनाव के दौरान होने वाले धन के दुरुपयोग पर अंकुश लगाया जा सके। उन्होंने चुनाव में धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए आयोग को और अधिक अधिकार देने का भी प्रस्ताव किया है।

इसके अलावा निर्वाचन आयोग ने पूरे कार्यकाल में किसी भी सांसद को दल विभाजन का अधिकार नहीं देने का भी प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र रूप से निर्वाचित होकर आने वाले सांसदों को पूरे कार्यकाल के दौरान किसी भी राजनीतिक दल में सहभागी होने पर भी प्रतिबंध लगाया जाए।

हालांकि पार्टी की आधिकारिक केंद्रीय समिति के 40 प्रतिशत सदस्य और उस दल के संसद में निर्वाचित कुल सांसदों की संख्या के 40 प्रतिशत सांसदों द्वारा एक साथ आग्रह करने के बाद नए दल की मान्यता देने का प्रस्ताव भी रखा गया है। थपलिया का मानना है कि जनता के मत का सम्मान करने के लिए भी दल विभाजन और दल बदल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। आयोग ने प्रत्यक्ष चुनाव में 33 प्रतिशत महिलाओं की उम्मीदवारी अनिवार्य करने, समावेशी सिद्धांत को लागू करने के लिए आदिवासी, जनजाति, अल्पसंख्यक, दलित को भी प्रत्यक्ष निर्वाचन में सहभागी कराने का प्रस्ताव किया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास