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चीनी सेना ने ताइवान की स्वतंत्रता का मतलब युद्ध बताया

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- ताइवान में अलगाववादी गतिविधियों के समर्थन में विदेशी हस्तक्षेप विफल करने को तैयार है चीन

बीजिंग, 30 मई (हि.स.)। ताइवान को अपना अभिन्न अंग बताने वाला चीन एकबार फिर से द्वीप देश की स्वतंत्रता का विरोध किया है। चीनी सेना के प्रवक्ता ने ताइवान की स्वतंत्रता का मतलब युद्ध बताया है। इसके साथ यह भी कहा कि ताइवान में “अलगाववादी गतिविधियों” के समर्थन में विदेशी हस्तक्षेप को विफल करने के लिए दृढ़ कार्रवाई करने के लिए तैयार है।

चीनी सैन्य प्रवक्ता सीनियर कर्नल वू कियान ने गुरुवार को मीडिया को बताया कि चीन का एकीकरण इतिहास की एक अपरिवर्तनीय प्रवृत्ति है और पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) “ताइवान की किसी भी स्वतंत्रता” का जवाब देने के लिए दृढ़ कार्रवाई करने के लिए तैयार है।

वू, ताइवान के नए नेता लाई चिंग-ते द्वारा 20 मई को द्वीप के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण के दौरान दिए गए स्वतंत्रता समर्थक भाषण पर पूछे गए प्रश्न पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।

लाई (64) को विलियम लाई के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने इस वर्ष जनवरी में हुए राष्ट्रपति चुनाव में जीतने के बाद स्वतंत्रता समर्थक डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) के अपने सहयोगी साई इंग-वेन का स्थान लिया। लाई ने सोमवार को ताइपे में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। चीन ताइवान को एक विद्रोही प्रांत मानता है और उसका कहना है कि इसे मुख्य भूमि के साथ पुनः एकीकृत किया जाना चाहिए, भले ही इसके लिये बल का इस्तेमाल क्यों न करना पड़े।

लाई की डीपीपी पार्टी चीन से स्वतंत्रता नहीं चाहती है, बल्कि उसका मानना है कि ताइवान पहले से ही एक संप्रभु राष्ट्र है।

कर्नल वू ने कहा कि लाई का भाषण बलपूर्वक और बाहरी ताकतों पर निर्भर होकर “ताइवान की स्वतंत्रता” प्राप्त करने के उनके प्रयासों की स्वीकारोक्ति है। उन्होंने कहा कि पीएलए इसका दृढ़ता से विरोध करती है और उसने कड़े जवाबी कदम उठाए हैं।

वू ने कहा कि ताइवान की स्वतंत्रता की मांग करने वाली अलगाववादी गतिविधियां ताइवान जलडमरूमध्य में शांति के लिए सबसे बड़ा वास्तविक खतरा हैं। वू ने कहा कि पीएलए राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के मिशन पर काम कर रही है।

हिन्दुस्थान समाचार/ अजीत तिवारी/प्रभात