वैज्ञानिक हमेशा कुछ नया और बेहतर करने की कोशिश करते हैं. गौरतलब है कि इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने लैब में ‘ब्रेन सेल्स’ तैयार किया है. खास बात ये है कि ये ब्रेन Video गेम भी खेल सकता है. इतना ही नहीं दावा तो यह भी किया जा रहा है कि ये ‘मिनी ब्रेन’ बाहरी वातावरण को समझता भी है और इसका बेहतरी से जवाब भी देता है. जानकारी के लिए दूं कि इसे तैयार किया है ऑस्ट्रेलिया की कॉर्टिकल लैब्स ने. ध्यातव्य है कि इस ब्रेन के बारे में डॉक्टर ब्रेट कैगन ने जर्नल न्यूरॉन में एक आर्टिकल लिखा है. डॉक्टर ब्रेट कैगन के अनुसार इस ब्रेन को लैब के एक Dish में तैयार किया गया है. BBC से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि इस ब्रेन ने किसी बाहरी सोर्स से जानकारी इकट्ठा करना सीख लिया है. साथ ही ये रियल टाइम यानी वास्तविक समय में इसका जवाब देने में भी पूर्णरूप से सक्षम है. उनके अनुसार आने वाले दिनों में इस ब्रेन को और भी कई बड़े काम में लगाकर टेस्ट किया जाएगा. Video गेम खेलने में सक्षम
मिनी-ब्रेन को पहली बार साल 2013 में माइक्रोसेफली का अध्ययन करने के लिए बनाया गया था. जानकारी के लिए बता दूं कि ये एक ऐसा जेनेटिक डिसॉर्डर है जहां मस्तिष्क बेहद छोटा होता है और तब से मस्तिष्क के विकास में अनुसंधान के लिए उपयोग किया जाता है. लेकिन ये पहली बार है जब उन्हें बाहरी वातावरण से जोड़ा गया है, और इसे एक Video गेम खेलने के लिए दिया गया. ऐसे किया गया, इसका टेस्ट
इस ब्रेन को माउस भ्रूण से 800,000 sales के साथ तैयार किया गया है. ध्यातव्य है कि इस ब्रेन को 1970 के दशक में लोकप्रिय Video Game पॉन्ग खेलने के लिए दिया गया. इस मिनी-ब्रेन को इलेक्ट्रोड के माध्यम से Video गेम से जोड़ा गया. जाने, क्या होगा इसका फायदा?
डॉ. कैगन को उम्मीद है कि इससे अल्जाइमर जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों के इलाज के परीक्षण के लिए technology का इस्तेमाल किया जा सकता है. जिसके बाद उन्होंने मिनी-ब्रेन की पोंग खेलने की क्षमता पर alcohol के प्रभाव का परीक्षण करने की योजना बनाई है. अगर ये मानव के मस्तिष्क के समान तरीके से प्रतिक्रिया करता है, तो यह इस बात को बेहतर तरीके से रेखांकित करेगा कि प्रायोगिक स्टैंड-इन के रूप में सिस्टम कितना प्रभावी हो सकता है.