पटना बना झीलों का शहर. भैया अगर आप पटना के रहने वाले है और इस समय पटना में ही हैं तो बस वहीं रहिये. काहे से कि मौसम एकदम मस्त है और सड़कें भी लबालब हैं. कुल मिलाकर आप एकदम सही जगह पर हैं. स्विमिंग की ऐसी सुविधा तो अंतराष्ट्रीय स्विमिंग पुलों में भी न होगी. बस जहाँ मन आये वहीं चालू हो जाइये. सरकार तो घर पे भी सारा इंतजाम कराये है. अब कोरोना काल में सिर्फ तैरने के लिए बाहर जाना तो समझदारी नहीं है ना. आप खुद तो तैराकी करिये ही लगे हाथ अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को भी इनविटेशन दे ही दीजिये. चाहे तो ओलंपिक की तैयारी भी शुरू कर दीजिए. अरे अपना पटना अब बहुत तरक्की कर लिया है. खबरें बता रही हैं कि पिछले दिनों की बारिश के बाद गली, मोहल्ले, सड़कें, घर सब लबालब हैं. कुछ इलाके तो टापू बन गए हैं. लोग अपना झोला झंडा लिए छतों पे विराजमान हैं. झीलों के शहर नैनीताल को क्या खूब टक्कर दे रहा है अपना पटना. कायदे से तो जीके की किताबों को अपडेट करने की तत्काल जरूरत है. पटना तो पटना है. पीछे रहना इसने सीखा नहीं. कल रात बारिश हुई तो रातों रात घर झील बन गये. अच्छा लोग तो जान ही नहीं पाए. बारिश हुई तो मौसम सुहाना हो गया. नींद भी मस्त आयी. सुबह ऑंखें खुलीं तो खुली ही रह गईं. शहर टापू तो सड़कें नदियों में तब्दील हो चुकी थीं. लेकिन भैया अब बरसात भी बहुत समझदार हो गई है. आम और खास में कोई भेद नहीं किया है. आम आदमी से लेकर उपमुख्यमंत्री के घर पर बराबर बरसी है. खबरें बता रही हैं कि उनके घर में डेढ़ फ़ीट तक पानी भरा है. चलिये अच्छा ही है. वरना तो पटना वालों को झील का आनन्द लेने नैनीताल तक जाना पड़ता था. समय तो लगता ही था पैसा बर्बाद होता था सो अलग. बाबू जी जनता का बहुत खयाल रखते हैं. जनता की दिक्कतों को समझते हुए पूरे पटना शहर को ही झील में तब्दील करवा दिए हैं. अभी तो ये मानसून का ट्रेलर है. सम्भव है कि यहां की सड़कों पे नदियाँ चलवा दी जाएं. जनता के पास भी सुनहरा मौका है. जमके सीखिए और सिखाइये. फिर से तैयार रहिये. क्योंकि वक्त का कोई भरोसा नहीं. क्या पता पटना की सड़कों पे जल्द ही नावें चलती दिखेगीं. यह एक
व्यंग्य लेख है. इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति, पद, संस्था या स्थान की छवि खराब करना नहीं है. न ही इसका कोई राजनीतिक मन्तव्य है.