जाँच और टीकाकरण में जबरदस्ती, भैया कोरोना से बचना है तो दो ही उपाय हैं पहला ये कि जईसे ही कउनो लक्षण दिखे जाँच करवाएं औ दूसरा ये कि टीका लगवाएं वैसे हर चीज में जनता की मर्जी चले ये जरूरी थोड़े ही है. प्रशासन नाम की भी तो कोई चीज होती है. आगे बढ़ने से पहले चेतावनी दे दें कि अमेठी वालों अपने आस पास कउनो नदी वदी होये तो ढूंढ लेयो फिर न कहना कि हम बताये नहीं. तो आज का किस्सा है अपनी बाराबंकी का. हुआ यूं कि स्वास्थ्य विभाग की एक टीम टीका लगाने के लिए रामनगर तहसील के सिसौंडा गाँव पहुंची, गाँव वाले जईसे ही देखे दौड़ लगा के सरयू नदी में घुस गए. कुछ तो टीलों में चढ़ गए और वहीं से टीम को चिढ़ाते रहे. टीम बुलाती रही लेकिन गांव वाले आराम से तैराकी करते रहे. टीम को अपना टारगेट भी पूरा करना था सो खूब हाथ पैर जोड़े. मान मनौव्वल किये. गाँव वाले भी बेचारे कब तक तैरते। समय के साथ हाथ पैर ढीले पड़े और दिल भी पसीजा. बाहर आये तो बोले कुछौ कल्येओ टीका तो नहीं लगवाएंगे. लगवाएंगे तो मर जायेंगे. स्वास्थ्य विभाग वाले बहुत समझाये. एड़ी चोटी का जोर लगा दिए. एसडीएम साहब खुद पहुंचे. तब कहीं जाके गांव भर में कुल जमा चौदह लोग समझदार निकले. इससे मजेदार एक अउर घटना बेंगलुरू में घट गई. वहां सड़क किनारे नगर निगम वाले कोरोना जाँच का कैंप लगाये थे. दोपहर हो गई लेकिन खाता नहीं खुल पाया तो ये लोग सड़क से गुजरते एक लड़के को धर दबोचे. इरादे तो नेक थे लेकिन लड़का बिदक गवा. जाँच करवाने से साफ़ साफ़ मना कर दिया. बस नगर निगम वालों को उसकी यही बात अखर गई. लड़का भागने की कोशिश भी किया लेकिन निगम वालों ने दौड़ा के पकड़ लिया. पीटते,घसीटते, धकियाते जाँच की मेज तक ले आये. लेकिन लड़का सरेंडर करने को तैयारै नहीं था. फिर एक ने पीछे से जकड़ा और दूसरे ने एक्शन की कमान संभाली. फिर उस निगम वाले ले पूरी तबियत, पूरी जिम्मेदारी और तल्लीनता से बेचारे लड़के को थपड़ियाये. दोनों अधिकारियों ने गज़ब की एकजुटता और टीम वर्क का परिचय देते हुए बेचारे लड़के को जमीन पे लिटा लिटा के मारा. एक बार तो जाँच के लिए सजी मेज पर ही सिर भिड़ा दिए. लेकिन लड़का भी अदम्य इच्छाशक्ति वाला निकला. मार चाहे जित्ती खाये गवा हो लेकिन जाँच नहीं कराई तो नहीं कराई. तो भैया चाहे अमेठी, बाराबंकी जैसे गाँव हों या बेंगलुरू जैसे पढ़े लिखे शहर.लोगों को समझाने के बजाय जबर्दस्ती करने पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है. यही हाल रहे तो लोग यूँ ही नदियों में कूदते रहेंगे और अधिकारी ऐसे ही लोगों को पीटते रहेंगे. यह एक
व्यंग्य लेख है. इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति, पद, संस्था या स्थान की छवि खराब करना नहीं है. न ही इसका कोई राजनीतिक मन्तव्य है.