दरकती खांग्रेस सरकती खांग्रेस

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दरकती खांग्रेस सरकती खांग्रेस, वैसे तो कोरोना ने सबको दिन में तारे दिखा रखे हैं लेकिन खांग्रेस की बात ही कुछ और है. दुर्दिन इनके ऊपर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हैं. तारक मेहता वाले जेठालाल सी हालत हो गई है. एक समस्या निपटती नहीं कि दूसरी सीना तान के खड़ी हो जाती है. अब देखिये ना जितिन प्रसाद भी साथ छोड़ दिए. इतने सालों तक जिस पार्टी की थाली का नमक खाया उसी में छेद करके चले गए. उधर पायलट साहब अलग पेंच कसे हैं. आलाकमान समझ नहीं पा रहा है कि आखिर किस किस को संभालें. वैसे इन नेताओं का काम चौकस है. जब जहाँ बढ़िया पैकेज मिला लपक लिए. बस मीडिया वालों को बुलाये और निकल लिए न यहाँ से रिजाइन न वहां से ऑफर लेटर बस डायरेक्ट जॉइनिंग. उधर गुरु सिद्धू अलग मुँह फुलाए बैठे हैं. जबसे कपिल शर्मा शो की नौकरी छूटी है तब ही से राजनीति पे खूब फोकस कर रहे हैं. पहले की बात और थी. तब तो हफ्ते में चार दिन मुंबई में ही गुजर जाते थे. जान ही नहीं पाते थे कि उधर पंजाब में क्या गुल खिल गये. अब टीम में सिद्धू साहब हों और कैप्टन कोई और ये तो सरासर नाइंसाफ़ी हुई. उधर राउल भैया पूरी मेहनत कर रहे हैं. सिंधिया के बाद प्रसाद भी जा ही चुके हैं. बाकी जो कुछ बहुत और टैलेंटेड युवा बचे हैं वो भी जल्दी ही निकल लेंगे बस भैया की मेहनत जारी रहे. महीने आध महीने में प्रियंका दीदी भी ट्वीट करके दो चार लाइनों में अपनी बात कह ही जाती हैं. अब सोनिया जी की तबियत कुछ साथ नहीं दे पा रही सो बिना किसी से मिले, बोले ही काम चला रही हैं. कुछ समझदार लोग उनको समझा दिए हैं कि जो जितना ज्ञानी होता है वो उतना ही कम मिलता, बोलता है. बस तबसे मैडम ने ये बात गाँठ बांध ली है. तो बस भैया खांग्रेस की ट्रेन तो चल रही है लेकिन इंजन खामोश है. उसको खुद नहीं पता कि किस दिशा में जाना है. बीच बीच में एक आध डिब्बा चुप्पे से निकल के दूसरी ट्रेन में जुड़ जाता है. अगले साल यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं. लेकिन पार्टी अपने नेता ही सँभालने में जुटी है. जब तक चुनाव की तैयारियों में जुटेंगे तब तक तो शायद चुनाव भी हो चुके होंगे. लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है. अपने राउल भैया को चुनावों का खूब अनुभव है. जहाँ जहाँ कमान संभाले हैं तो हरवा के ही माने हैं. हो सकता है अपनी तैयारी अभी से शुरू कर दिए हैं. यह एक  व्यंग्य लेख है. इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति, पद, संस्था या स्थान की छवि खराब करना नहीं है. न ही इसका कोई राजनीतिक मन्तव्य है.