डांस के चक्कर में खाली लौटी बारात

 | 
डांस के चक्कर में खाली लौटी बारात, भैया शादी बारात और डांस का जन्मों जन्मों का रिश्ता है. एक के बिना दूसरे को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता. बहुत याराना है दोनों में. और आजकल तो डीजे चल गया है. जब तक डीजे वाले बाबू गाना नहीं बजाते मजाल है कि जयमाल दूल्हा दुल्हन के गले में पड़ जाये. बिना डीजे के शादी से तो कुंवारे रहना अच्छा है. बताइये कितना ताम झाम किया जाता है, लाखों रुपया फूँक दिया जाता है आखिर काहे के लिए. अभी अपनी यूपी के प्रतापगढ़ में इसी डांस ने कांड करवा दिया. अब हुआ यूं कि यहां के एक गाँव में बारात आयी थी. अगवानी पे कमरतोड़ डांस हुआ. बाराती पूरा होमवर्क करके आये थे सो एकदम फुल फॉर्म में थे. डांस के ऐसे ऐसे स्टेप निकाले कि प्रभु देवा भी दांतों तले उंगली दबा लें. कई बार बाराती रिदम से हटे तो बैंड बाजा वाले सरेंडर कर दिए बोले तुम्ही लोग बजा ल्यो हम घर चले जाएं. खैर गिरते पड़ते पहुंचे तो स्वागत भी जमके हुआ. दूल्हे राजा और उनका भोकाल दोनों एकदम टाइट थे. हालांकि जयमाला का कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गया. असली कहानी तो अब शुरू होती है. तो भैया घर के अंदर जाने के लिए दुल्हन जैसेही खड़ी हुई दूल्हे राजा के अंदर का प्रभु देवा जाग उठा. बस आव देखे न ताव और दुल्हन का हाथ पकड़ लिए. बोले डांस करना है. अब साहब तो पहले से फुल मूड में थे लेकिन दुल्हन झिझक रही थी. इधर डीजे वाला भी 'आँख मारे' लगा के माहौल बनाने में जुट गया. लेकिन दुल्हन तब भी राजी न हुई. दूल्हे राजा फिर से रिक्वेस्ट किये तो दुल्हन ने बिना लाग लपेट के खुल्लम खुल्ला झिड़क दिया.  बस दूल्हे मियाँ का आत्मसम्मान भरभरा के वहीं औंधे मुँह गिर पड़ा. जानकार लोग बताते हैं कि घायल शेर बहुत खतरनाक होता है. बस दूल्हे राजा तो घायल हो ही चुके थे. डायरेक्ट दुल्हन का हाथ पकड़े औ डीजे फ्लोर पे घसीट लिए. लेकिन शायद जनाब भूल गए कि वो उस प्रतापगढ़ में हैं जहाँ की दुल्हनें स्टेज पे चढ़ने से पहले दो चार राउंड फायर यूँ ही झोंक दिया करती हैं. बस फिर क्या था लड़की ने मुँह पे ना बोल दी. दूल्हे मियाँ के चेहरे का बल्ब ना सुनते ही फ्यूज हो गया. लड़की ने एक झटके में चढ़ी चढ़ाई सब उतार दी. बहुत मान मनौव्वल हुई लेकिन बच्चन साहब एक पिच्चर में बताए रहे कि लड़की की ना का मतलब ना है. लेकिन जब ज्यादा किये तो दूल्हे राजा को बारात समेत बंधक बना लिया गया. पुलिस को भी न्योता दे दिया गया. एक एक सामान और खर्चा धरा लिया गया. अब तक उछल रहा दूल्हा बेचारा एक कोने में मुंह छिपाये गुमसुम सा बैठा रहा. बारात तो खाली हाथ लौटी ही बेइज्जती हुई वो अलग. यह एक  व्यंग्य लेख है. इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति, पद, संस्था या स्थान की छवि खराब करना नहीं है. न ही इसका कोई राजनीतिक मन्तव्य है.