भैया बारिश का मौसम आ चुका है और इस मौसम में होती है धान की रोपाई. वैसे तो धान खेतों में रोपा जाता है. लेकिन भैया ये सुल्तानपुर है यहां लोग सड़कों पे ही धान रोपाई चालू कर दिए. अब मेनका मैडम का इलाका है कोई मजाक थोड़े है. यहां की सड़कें बरसात में अच्छी खासी नदियों को फेल कर देती हैं. तैराकी जानते हों तो ये मौसम और ये सड़कें आप ही के लिए हैं. ये सीन ऐसी ही एक सड़क का है जो कटका मायंग नाम से जानी जाती है. ये सड़क यूँ तो चलने के काम भी आती है लेकिन बरसात में तैराकी और धान रोपाई के काम भी खूब आती है. वैसे तो यहाँ विधायक से लेके सांसद तक सब कमल वाले ही हैं. लेकिन यहां की बदहाली वैसे ही तंदुरुस्त है जैसे दस बीस साल पहले थी. मल्लब वही हाल वही चाल. वैसे तो योगी जी गद्दी सँभालते ही दहाड़े थे गड्ढा मुक्त सड़क. अब अगला चुनाव भी आने वाला है. यहाँ की सड़क तो गड्ढा मुक्त हुई नहीं हाँ गड्ढे जरूर सड़क मुक्त हो गए. वैसे ये हाल प्रदेश की तमाम सड़कों का है. लेकिन सुल्तानपुर तो सुल्तानपुर है. यहां सड़कों पे गड्ढे तो सड़कों का गहना समझिये. अगर सफर में गड्ढे न मिलें तो सफर बेकार. कटका मायंग रोड में लोग गिरते पड़ते भी खूब हैं, कभी अकेले तो कभी गाड़ी के साथ. लेकिन भैया गिरेंगे तभी तो उठेंगे. बड़े बुजुर्ग बता गये हैं कि गिरते हैं शहसवार ही मैदान ए जंग में. ऐसा नहीं है कि इसकी शिकायत प्रशासन से नहीं की गई. खूब की गई बार बार की गई लेकिन अधिकारी हैं कि सुनते ही नहीं. बोल रहे हैं यहां स्विमिंग पूल बनवाने की योजना है. बजट जारी होते ही काम चालू हो जायेगा. तब तक जनता प्रैक्टिस करे. धान रोपने वाले जवान किसान कह रहे हैं कि अगर जल्द ही सड़क की मरम्मत नहीं हुई तो आंदोलन करेंगे. अव्वल तो यहां सड़क है ही नहीं तो मरम्मत काहे की और दूसरा यूँ छोटी छोटी बातों पे आंदोलन होने लगे तो उत्तर प्रदेश तो आंदोलन प्रदेश बन जायेगा. वैसे यही हाल रहा तो अबकी बार पक्का सुल्तानपुर में धान की बम्पर पैदावार होगी. साथ ही धान भी खेतों से ज्यादा सड़कों पे दिखाई देगा. यह एक
व्यंग्य लेख है. इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति, पद, संस्था या स्थान की छवि खराब करना नहीं है. न ही इसका कोई राजनीतिक मन्तव्य है.