लंबे समय से बारिश न होने से किसानों की बढ़ी चिंता, गेंहू की बिजाई का इंतजार
धर्मशाला, 15 दिसंबर (हि.स.)। दो महीने से जारी शुष्क मौसम ने कांगड़ा जिला के किसानों व बागवानों की परेशानी बढ़ा दी है। हिमाचल प्रदेश में पिछले दो महीने से मौसम साफ चल रहा है। दिसंंबर महीना भी करीब आधा बीत चुका है और बारिश न होने के कारण पूरे प्रदेश में सूखा पड़ गया है। नवंबर महीने में गेंहू की बुआई का सही समय माना जाता है और 30 नंवबर तक गेंहू की बुआई होती है, लेकिन अब पर्यावरण बदलाव के कारण किसान दिसंबर में भी गेंहू की बुआई नहीं कर पा रहे हैं। खासकर गैर सिंचाई वाले क्षेत्रों में गेहूं की बिजाई नहीं हो पाई है। इसके अलावा जिन किसानों ने कम नमी में ही गेहूं की बिजाई कर दी है, वहां भी बीज अंकुरित नहीं हो पाएं हैं।
उधर कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बिना नमी से बुआई करना व्यर्थ हो सकता है। इसलिए जहां सिंचाई की व्यवस्था ही नहीं है उन किसानों को अभी बारिश का ही इंतजार करना पड़ेगा। कांगड़ा के करीब 35 हजार किसानों को बारिश का इंतजार है। इन जिलों में हजारों हेक्टेयर भूमि में गेहूं की पैदावार होती है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो कांगड़ा जिले के किसानों की ओर से 92 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई की जाती है। इसमें से अभी तक 50 फीसदी यानी 46 हजार हेक्टेयर की भूमि पर गेहूं की बिजाई हो चुकी है। कई क्षेत्रों में अभी भी ग्रामीण बारिश होने के इंतजार में गेहूं की बिजाई नहीं कर पाए हैं। उत्पादन पर पड़ेगा असर
जिला के किसान देवराज, संजय, मिलखी राम आदि की मानें तो नवंबर में गेहूं की बिजाई के लिए सही समय होता है, लेकिन दिसंबर आधा बीत जाने के बाद भी बारिश नहीं हुई है, जिसका असर गेहूं के उत्पादन पर पड़ेगा। किसानों की दिक्कतें बढ़ रही है। किसानों की मानें तो जल्द बारिश न हुई तो पशुचारे की किल्लत का भी सामना करना पड़ सकता है। हालांकि पिछले दो तीन दिन से आसमान में बादल तो उमड़ रहे हैं, लेकिन बारिश नहीं हो रही है, जिससे किसानों का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब किसान भी सिर्फ आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं कि कब बारिश की बूंदें गिरे और वह अपनी फसल की बुआई कर पाएं।
हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया

