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शिमला लोकसभा सीट पर दमदार उम्मीदवार खोजने में जुटी कांग्रेस, भाजपा के सुरेश कश्यप से होगी टक्कर

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शिमला लोकसभा सीट पर दमदार उम्मीदवार खोजने में जुटी कांग्रेस, भाजपा के सुरेश कश्यप से होगी टक्कर
शिमला लोकसभा सीट पर दमदार उम्मीदवार खोजने में जुटी कांग्रेस, भाजपा के सुरेश कश्यप से होगी टक्कर






शिमला,15 मार्च (हि.स.)। कांग्रेस की परंपरागत गढ़ रही शिमला लोकसभा सीट (आरक्षित) पर भाजपा ने मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप को दूसरी बार फिर से चुनाव मैदान में उतारा है। कश्यप प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी रहे हैं। शिमला में भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं कर सकी है।

सिरमौर जिला से ताल्लुक रखने वाले सुरेश कश्यप को जमीन से जुड़ा नेता माना जाता है। वह सिरमौर की पच्छाद सीट से दो बार भाजपा के विधायक भी रह चुके हैं। शिमला लोकसभा सीट पर पिछले एक दशक से भाजपा का कब्ज़ा है। भाजपा के प्रभावशाली उम्मीदवार सुरेश कश्यप को टक्कर देने के लिए कांग्रेस मजबूत उम्मीदवार को खोजने में जुटी है। कांग्रेस मंथन कर रही है कि सुरेश कश्यप को घेरने के लिए सिरमौर का ही उम्मीदवार मैदान में उतारा जाए। कांग्रेस के कद्दावर मंत्री व पूर्व सांसद धनीराम शांडिल और विधायक बिनोद सुल्तानपुरी इस सीट पर कांग्रेस की पहली पसन्द है, लेकिन विधानसभा में नम्बर गेम के चलते कांग्रेस सिटिंग विधायक को चुनाव लड़ाने से बच रही है। ऐसा इसलिए कि छह कांग्रेस विधायकों के निष्कासन के कारण विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 40 से घटकर 34 रह गई है। ऐसे में पार्टी नहीं चाहती कि किसी विधायक को चुनाव में उतारा जाए। कांग्रेस में पूर्व विधानसभा उम्मीदवार दयाल प्यारी, पूर्व विधायक सोहन लाल, जिला परिषद सदस्य कुशल मूँगता और अमित नन्दा के नामों पर विचार विमर्श चल रहा है। यदि कांग्रेस दयाल प्यारी को मैदान में उतारती है तो मुकाबला बेहद रोचक हो सकता है, क्योंकि सुरेश व प्यारी एक ही विधानसभा क्षेत्र पच्छाद से ताल्लुक रखते हैं।

शिमला सीट से 16 दावेदार

शिमला संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस का टिकट मांगने वालों की होड़ लगी है। यहां से कांग्रेस का टिकट लेने के लिए 16 नेताओं ने आवेदन किया है, जिन पर हाईकमान मंथन कर रहा है। शिमला ग्रामीण से पूर्व विधायक सोहन लाल, ठियोग से सुरिंद्र सिंह बनोलटा, चौपाल से यशपाल तनाईक, ठियोग से मोहन लाल बनोलटा, मशोबरा से डॉ. अश्वनी कुमार, कोटखाई से मेघराज धांगटा, नाहन से गुरदयाल सिंह पंवर, बद्दी से एडवोकेट राम कुमार, शिमला ग्रामीण से धर्मिला हरनोट, पच्छाद से डॉ. पंकज मुसाफिर, जुब्बल से कौशल मुंगटा, रोहड़ू से सोहन लाल जिलटा, पझौता राजगढ़ से बीरेंद्र जालटा, ठियोग से बुद्धिराम जस्टा, शिमला से अमित नंदा और चौपाल से प्रेम डोगरा ने पार्टी टिकट के लिए आवेदन किया है।

सुक्खू सरकार के पांच मंत्रियों की होगी अग्निपरीक्षा

शिमला संसदीय क्षेत्र से सुक्खू सरकार में पांच मंत्री हैं, जबकि एक डिप्टी स्पीकर है। साथ ही दो मुख्य संसदीय सचिव भी हैं। शिमला लोकसभा सीट के चुनाव में सुक्खू सरकार के पांचों मंत्रियों की अग्निपरीक्षा होगी। मंत्रियों पर अपने-अपने चुनावी हलकों में कांग्रेस उम्मीदवार को लीड दिलाने का दवाब रहेगा। पांच में से दो मंत्री हर्षवर्धन चौहान व विक्रमादित्य तेजतर्रार माने जाते हैं। अन्य मंत्रियों में धनीराम शांडिल, रोहित ठाकुर और अनिरुद्ध सिंह हैं। इसके अलावा मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी और राम कुमार को भी अपने हलकों में कांग्रेस को बढ़त दिलवाने की चुनौती होगी। 14 माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र के 17 विधानसभा क्षेत्रों में 13 पर कांग्रेस और तीन पर भाजपा को जीत मिली थी। एक निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर ने हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के हक में वोट किया था।

शिमला लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण

आरक्षित शिमला संसदीय क्षेत्र में अनुसूचित जाति व जनजाति का बोलबाला है। संसदीय क्षेत्र की कुल जनसंख्या का 26.51 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जाति से संबंधित है। सिरमौर जिले के बड़े इलाके में अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं। सोलन में 28.35 फीसदी अनुसूचित जाति, जबकि 4.42 फीसदी लोग अनुसूचित जनजाति के हैं। सिरमौर में 30.34 फीसदी अनुसूचित जाति के लोग हैं।

कांग्रेस बना चुकी है लगातार छह चुनाव जीतने का रिकार्ड

शिमला संसदीय सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। इस सीट पर कांग्रेस के नाम लगातार छह लोकसभा चुनाव जीतने का रिकार्ड है। कांग्रेस के कृष्णदत्त सुल्तानपुरी वर्ष 1980 से 1998 तक इस सीट पर लगातार छह मर्तबा विजयी रहे। वर्तमान में उनके बेटे बिनोद सुल्तानपुरी कांग्रेस के विधायक हैं। वर्ष 1999 में हिमाचल विकास कांग्रेस के धनीराम शांडिल ने कांग्रेस के इस गढ़ को ध्वस्त किया था। साल 2004 में धनीराम शांडिल कांग्रेस के टिकट पर फिर मैदान में उतरे और जीत हासिल की।

इसके बाद भाजपा के वीरेंद्र कश्यप ने कांग्रेस उम्मीदवार को पटकनी देकर भाजपा को विजय दिलाई। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर वीरेंद्र कश्यप भाजपा की सीट बचाने में कामयाब रहे। वर्ष 2019 में भाजपा के सुरेश कश्यप यहां से सांसद बने। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार धनीराम शांडिल को 3.27 लाख के विशाल अंतर से परास्त किया था।

हिन्दुस्थान समाचार/उज्ज्वल/सुनील