रंगमंच दिवस: रंगमंच जीवन की जीवंत अभिव्यक्ति : रेखा वशिष्ठ
मंडी, 28 मार्च (हि.स.)। विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर नृत्य तपस अकादमी के सभागार में उत्सव संस्था, आकार थिएटर सोसाइटी और इंपावरमेंट आफ क्लचरल डिवेल्पमेंट सोसाइटी के तत्वावधान में आयोजन किया गया। जिसमें मंडी शहर के प्रतिष्ठित साहित्यकारों, कलाकारों ने शिरकत की। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर सुरेश शर्मा ,पूर्व निदेशक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली और मुख्य अतिथि के रूप में शुक्ला शर्मा उपस्थित थे। जवकि मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार उपन्यासकार डा. गंगाराम राजी, डॉ. धर्मपाल कपूर और डॉ. राकेश कपूर ने मंडी के रंगमंच की दशा और दिशा पर चर्चा की और आने वाले समय में रंगमंच की गतिविधियों को निरंतर सुचारू रूप से चलाने के बारे में अपने विचार साझा किए।
परिचर्चा का मुख्य विषय यह रहा की मंडी शहर के रंग कर्मियों के लिए एक ऐसे स्थान की आवश्यकता है जहां मंडी के रंगकर्मी अपनी रिहर्सल भी कर सके और अपने नाटकों का मंचन भी कर सके ताकि शहर के युवाओं को और बच्चों को रंगमंच से जोड़ा जा सके। वहीं पर हिमाचल कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी की सदस्य वरिष्ठ साहित्यकार रेखा वशिष्ठ ने रंगमंच पर चर्चा करते हुए कहा रंगमंच जीवन से अलग नहीं है। उन्होंने कहा कि रंगमंच सही मायने में जीवन की जीवंत अभिव्यक्ति है। इस अवसर पर आकार थिएटर सोसाइटी मंडी की ओर से विश्व विख्यात कहानीकार व नाट्य लेखक अंतोन चेखव की बहुचर्चित कहानी द सर्जरी का मंचन किया। कहानी को मांड्याली बोली में रूपांतरण किया गया और इसे दांदा आउल़ा डॉक्टर के नाम से खेला गया। नाटक का निर्देशन दीप कुमार ने किया ।
कहानी में एक दांत दर्द से पीड़ित व्यक्ति अपनी समस्या को लेकर क्लीनिक में आता है लेकिन वहां डॉक्टर ना होने की वजह से उसकी मुलाकात डॉक्टर के कंपाउंडर से होती है। कंपाउंडर जो डॉक्टर बनना चाहता है, उसका इलाज करने लगता है । कंपाउंडर को लगता है कि दांत के डॉक्टर बनने के लिए केवल दांत निकलना आना चाहिए । दांत निकालने की पूरी प्रक्रिया बहुत ही हास्य पैदा कर देती है । भरपूर कोशिश करने के बाद भी कंपाउंडर दांत निकालने में असफल रहता है और कंपाउंडर का डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह जाता है।
नाटक हास्य से भरपूर एक मनोरंजक प्रस्तुति रही इसमें जिन कलाकारों ने भाग लिया डॉक्टर के रूप में अनिल महंत, कंपाउंडर की भूमिका में दीप कुमार और मरीज की भूमिका में वेद कुमार ने अपने अभिनय से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया।
इस अवसर पर रूप उपाध्याय, राकेश धीमान, राजेश कुमार, जयकुमार ,रामपाल मलिक, चेतन कपूर, गौरव शर्मा, विशाल दिक्षित, पारस वैद्य, सीमा शर्मा , एरिका शर्मा ,तन्मय शर्मा ,कविता कश्यप, हेमलता शर्मा ,भावना ठाकुर और सुंदर नगर से साहित्यकार रतनलाल शर्मा और सुरेंद्र मिश्रा भी उपस्थित रहे। इसके साथ ही वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार मुरारी शर्मा ने भी इस आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर सुरेश शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि मंडी के रंगमंच को उचित दिशा देने के लिए मंडी शहर के सभी रंग कर्मियों को रंगमंच की निरंतरता बनाए रखनी पड़ेगी और साथ ही सबको एकजुट होकर काम करना पड़ेगा। जिससे बेहतर से बेहतर रंगमंच को दिशा दी जा सके और उन्होंने यह भी कहा कि जितनी भी संस्थाएं मंडी शहर में काम कर रही है। वह अपने-अपने लेवल पर काम करती रहे लेकिन सामूहिक रूप से भी रंगमंच को निरंतर आगे बढ़ाने के लिए अपना सहयोग दें तभी रंगमंच की दशा और दिशा बदलेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा