पेंशन कम्मयूटेशन की हलचल तेज हुई
शिमला, 23 जुलाई (हि.स.)। बड़े पैमाने पर कोर्ट केस के परिणाम स्वरूप हरियाणा सरकार ने दस साल पूर्ण करने वाले पेंशनर्स की कम्मयूटेशन की रिकवरी करना बंद करने के आदेश दिए हैं । प्राय: इसे राज्य सरकारें पंद्रह साल तक लेती रहती हैं । सेवानिवृत्ति के समय पेंशनर्स दस साल तक के वेतन का कुछ हिस्सा अग्रिम राशि के तौर पर ले सकते हैं और इसे एक निश्चित किश्त के रूप में मासिक पेंशन से काटा जाता है । कायदे के अनुसार इसे दस साल आठ महीने में आठ प्रतिशत ब्याज दर से बापस लिया जाना चाहिए जबकि पंद्रह वर्ष तक इसकी रिकवरी की जाती रही है। हिमाचल प्रदेश में भी अन्य राज्यों और केंद्र की तर्ज पर इसकी अवधि पंद्रह वर्ष है । करीब चार साल और दो महीने की अतिरिक्त किश्तें हर पेंशनर से अवैध बसूली की जाती है और यह आर्थिक अपराध के साथ साथ सामाजिक अन्याय भी है । केन्द्र और राज्य स्तर पर यह करोड़ों की हेराफेरी है जिसे सरकारी तंत्र अंजाम देता है ।
जहां गुजरात और हरियाणा सरकार इसके पूर्ण अनुपालन की अधिकृत घोषणा कर चुके हैं तो दूसरी ओर हाल में ही पंजाब ने लगभग 17 सौ पेटिशनरों की रिकवरी कोर्ट आदेश के बाद रोकने के आदेश जारी किए हैं । साधारण आदेश जो सभी के लिए हों अभी आने शेष हैं ।
हिमाचल में अभी ऐसी कोई हलचल नहीं है । आर्थिक तंगी से जूझती राज्य सरकार तब तक ऐसा करने से बच रही हैं जब तक कोई केस दायर न हो या कोई कोर्ट का आदेश न हो या कोई चुनाव न हो अथवा आंदोलन जो कानून व्यवस्था के लिए चुनौती प्रस्तुत न कर रहा हो। काश हिमाचल सरकार इन सब के बिना ही 11 वर्ष पूरा कर चुके सभी पेंशनर्स की इस तरह की अनुचित रिकवरी को तुरंत बंद करने के आदेश पारित कर दे।
सेवानिवृत्त कर्मचारियों राजेश, हेम राज, रमेश आदि ने बताया कि उनकी कटौती अभी पेंशन में 15 साल के लिए हो रही है। इसे 10 साल तक किया जाए।
हिन्दुस्थान समाचार
हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला / उज्जवल शर्मा