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उपभोक्ता फोरम ने इंश्योरेंश कंपनी को नौ प्रतिशत ब्याज सहित राशि अदा करने का सुनाया फैसला

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धर्मशाला, 13 मार्च (हि.स.)। उपभोक्ता फोरम कांगड़ा ने यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंश कंपनी को वाहन की इंश्योरेंश राशि देने से आनाकानी करने पर कड़ी फटकार लगाई है। इसके साथ ही इंश्योरेंश कंपनी को नौ प्रतिशत ब्याज सहित अब 26 लाख 62 हज़ार 786 रुपए भरने का फैसला सुनाया है। इसके साथ ही इंश्योरेंश कंपनी को शिकायतकर्ता को 50 हज़ार रुपए हर्जाना व 15 हज़ार रुपए न्यायिक शुल्क भी अदा करना होगा। उपभोक्ता फोरम कांगड़ा के अध्यक्ष हेमाशुं मिश्रा, सदस्य आरती सूद व नारायण ठाकुर ने उक्त फैसला सुनाया है।

उपभोक्ता फोरम कांगड़ा के सदस्य आरती सूद ने बताया कि आंनद अग्रवाल पुत्र सुशील अग्रवाल निवासी हाऊस नंबर सात फरसेटगंज धर्मशाला ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसमें उन्होंने बताया था कि यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंश कंपनी की धर्मशाला शाखा के पास अपनी बस की इंश्योरेंश करवाई थी। जिसकी कुल वैल्यू 28 लाख 54 हज़ार 286 रुपए थी, जबकि वैधता 20 अक्तूबर 2020 से 19 अक्तूबर 2021 तक थी। उन्होंने बताया कि उनकी बस ने 13 जनवरी 2021 को लखनऊ एस्प्रसवे के पास टायर के फटने से वाहन में आग लग गई।

इस दुर्घटना के दौरान बस को भारी नुक्सान होने वके साथ ही 35 सवारियों का सारा सामान पूरी तरह से जल गया। इस बारे में उन्होंने कंपनी के संबंधित अधिकारियों को सूचना दी, तो उन्होंने वाहन को दिल्ली में लाने के लिए कहा गया। वॉल्बो बस को क्रेन के माध्यम से दिल्ली में पहुंचाया गया। इस दौरान क्रेन के लिए भी 60 हजार रुपए का खर्चा किया गया। साथ ही इस दुर्घटना के बाद से दिल्ली में ही बस को 10 हज़ार प्रति माह के रेंट के हिसाब से पार्किंग करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इंश्योरेंश कंपनी की ओर से वॉल्बो बस की इंश्योरेंश वैधता व राशि देने के लिए लगातार कई तरह की आनाकानी की गई। जिसमें उन्होंने 42 की बजाय अधिक सवारियां बिठाए जाने का आरोप लगाते हुए इंश्योरेंश क्लैम देने से मना कर दिया।

हालांकि मामले में सभी पहलूओं की पूरी जांच पड़ताल के दौरान बस में उचित सवारियों को बिठाना ही पुलिस की जांच में भी पाया गया। इस आधार पर उपभोक्त फोरम कांगड़ा ने उक्त फैसला सुनाते हुए इंश्योरेंश कंपनी को कड़ी फटकार भी लगाई है। साथ ही इंश्योरेंश का क्लैम 26 लाख 62 हज़ार 786 रुपए शिकायतकर्ता को नौ फीसदी ब्याद सहित अदा करने के निर्देश दिए हैं। जबकि 50 हज़ार हर्जाना व 15 हज़ार न्यायिक शुल्क भी अदा करना होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र

/सुनील