पानीपत: अपनी मांगों को लेकर श्रमिकों ने किया प्रदर्शन
पानीपत, 5 दिसंबर (हि.स.)। समालखा में ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी) के आह्वान पर शुक्रवार को औद्योगिक मजदूरों ने कारखाना मजदूर यूनियन के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया। केंद्रीय सरकार द्वारा श्रमिक विरोधी व कॉर्पोरेट प्रस्त चार लेबर कोड को अचानक लागू करने की घोषणा के खिलाफ श्रमिक सड़कों पर उतर आए।
इस दाैरान हुई सभा को संबोधित करते हुए एआईयूटीयूसी हरियाणा प्रदेश कमेटी के सचिव हरीप्रकाश ने बताया कि 21 दिसंबर 2025 को केंद्र सरकार ने चार लेबर कोड लागू किए हैं । यह अंग्रेजों के समय से अब तक मजदूरों के संघर्षों व कुर्बानियों से हासिल 29 श्रम कानूनों को खत्म करके बनाए चार लेबर कोड हैं। इन लेबर कोड्स में श्रमिकों के बचे-खुचे वैधानिक अधिकारों को भी छीनने का रास्ता साफ कर दिया है। 8 घंटे कार्य दिवस की जगह 12 घंटे कार्य दिवस, मजदूरों का यूनियन बनाने, उसे पंजीकृत कराने,अपने ढंग से चलाने तथा अपनी सामूहिक मांगे मनवाने हेतु हङताल करने के काम लगभग असंभव कर दिया है । 299 तक के श्रमिक संख्या वाले उद्योगों में ल मजदूरों की छंटनी करने, तालाबंदी व कारखाना बंदी मर्जी अनुसार करने का अधिकार दे दिया है। स्थाई किस्म के काम को ठेके पर अथवा शॉर्ट टर्म अपॉलाइंमेंट के तहत कराने का भी अधिकार दे दिया। इससे उद्योगपति स्थाई भर्ती नहीं करेंगे ।
मर्जी अनुसार नौकरी से हटाने का अधिकार नियोक्ताओं को दे दिया है। महिलाओं को रात्रि पाली में काम पर बुलाने का अधिकार भी मालिकों को दे दिया है। श्रमिक न्याय पाने के लिए अब सीधा,अपनी मर्ज़ी से कोर्ट में नहीं जा सकेंगे। इसी तरह के अनेक ऐसे प्रावधान इन लेबर कोड में लाए गए हैं जिन से भारत के मजदूर को पूंजीपतियों के गुलाम बनाने का रास्ता खोलने जैसे हैं। उन्होंने जोरदार मांग उठाई गई की चारों लेबर कोड्स को तुरंत रद्द किये जाए। रद्द किए 29 श्रम कानून बहाल हों, उन्हें संशोधित करके मजदूर हितों में समृद्ध करो। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों- विभागों व संपत्तियों को पूंजीपतियों को देना बंद करो। न्यूनतम वेतन 26000 रू मासिक घोषित करो। पुरानी पेंशन बहाल करो, एनपीएस व यूपीएस रद्द करो। बिजली संशोधन बिल 2025 वापस लो। आंगनवाड़ी, मिड डे मील, आशा सहित सभी परियोजना कर्मियों व तमाम तरह के कच्चे,ठेका व आउट सोर्सिंग कर्मियों को पक्का करो।
हिन्दुस्थान समाचार / अनिल वर्मा

