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नशा मुक्ति के लिए शिक्षण संस्थाओं को निभानी होगी विशेष भूमिका : उपायुक्त

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नशा मुक्ति के लिए शिक्षण संस्थाओं को निभानी होगी विशेष भूमिका : उपायुक्त


फरीदाबाद, 10 जुलाई (हि.स.)। उपायुक्त विक्रम सिंह ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक विकास में नशा सबसे बड़ी बाधा है। वर्तमान परिवेश में तो स्कूली छात्र भी नशे की गिरफ्त में आते दिखाई दे रहे हैं। कम उम्र में ही बच्चे नशे के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक होकर इससे दूर रह सकते हैं, इसके लिए हम सब मिलजुल कर इस समस्या को जड़ से खत्म कर सकते हैं।

उपायुक्त विक्रम सिंह बुधवार को लघु सचिवालय के बैठक कक्ष में जिला के सभी स्कूलों के प्रिंसिपल के साथ एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। उपायुक्त विक्रम सिंह ने कहा कि सभी प्रिंसिपल अपने स्कूल प्रांगण, परिसर या आस-पास के निर्धारित दायरे में तंबाकू या अन्य प्रकार के नशे को दूर रखने के लिए सजग निगरानीकर्ता की भूमिका निभाएंगे, ताकि विद्यार्थियों को नशे की गिरफ्त में आने से रोका जा सके। प्रिंसिपल से मिलने वाली शिकायत पर भी त्वरित एक्शन लेते हुए तत्काल प्रतिबंधित दायरे में नशे की सामग्री जब्त की जाएगी। जरूरत पड़ने पर इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग, पुलिस व प्रशासन की मदद भी ली जा सकेगी।

उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी के भविष्य को बचाने के लिए शिक्षण संस्थानों को भी आगे आना होगा और सख्त नियम बनाने होंगे। बुक सेलर्स को कहें कि बिना अभिभावकों के किसी भी बच्चे को व्हाइटनर न दें। स्कूलों के विद्यार्थियों में नशे के खिलाफ जागरुकता पैदा करने के लिए जागरुकता कार्यक्रम चलाएं।

उन्होंने समय-समय पर छात्र-छात्राओं के बैग और वाहन की सरप्राइज चेकिंग करने के निर्देश देते हुए कहा कि किसी छात्र के पास कोई आपत्तिजनक वस्तु मिलती है तो उसकी और उसके पेरेंट्स की काउंसलिंग करें। स्कूली बस ड्राइवर और क्लीनर पर भी नजर रखें। स्कूलों में आर्ट ऑफ़ लिविंग, मेडिटेशन और योग कक्षाओं का आयोजन करें। उपायुक्त ने सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यों को निर्देश दिये कि वह समय-समय पर अभिभावकों के साथ बैठक करें तथा नशे से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में उन्हें बताएं।

हिन्दुस्थान समाचार / -मनोज तोमर / सुमन भारद्वाज / सुनील कुमार सक्सैना