सोशल मीडिया-मोबाइल के उपयोग पर शीघ्र एसओपी : प्रफुल पानसेरिया

अहमदाबाद, 27 मार्च (हि.स.)। गुजरात विद्यापीठ में आयोजित दो दिवसीय एनसीटीई की वेस्टर्न नेशनल कॉन्क्लेव में गुजरात सरकार के शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुल पानसेरिया ने सोशल मीडिया-मोबाइल के संबंध में शीघ्र स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि मारधाड़ वाले वीडियो गेम बच्चों के मन-मस्तिष्क पर नेगेटिव असर डाल रहे हैं। उन्होंने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि बालकों के मोबाइल और सोशल मीडिया के उपयोग मामले में सरकार बुद्धिजीवियों के साथ चर्चा कर रही है और इसे लेकर एसओपी तैयार किया जाएगा।
पारसेरिया ने बच्चों की पढ़ाई को लेकर अभिभावकों की ओर से दिए जाने वाले दबाव पर भी चिंता जताई। पानसेरिया ने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा कि बालकों पर परसेंटेज लाने के लिए दबाव डालकर अभिभावक उनके दुश्मन बन रहे हैं। बालकों को शिक्षा देकर डॉक्टर या इंजीनियर नहीं, बल्कि सहयोगी, विवेकी और व्यसनमुक्त बने, यह जरूरी है। पानसेरिया ने कहा कि मोबाइल के दुष्प्रभाव मामले में अमरेली में हुई घटना मात्र एक उदाहरण है। बच्चे मोबाइल के कारण खतरनाक वस्तुओं का प्रयोग करते हैं। ब्लेड से शरीर पर जख्म लगाते हैं। वीडियो गेम में जिस तरह से मारधाड़ की जाती है, इसे देखकर बच्चों में हिंसात्मक प्रवृत्ति पैदा होती है। बालकों को ऐसी प्रवृत्तियों से रोकने के लिए मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल पिछले तीन-चार महीने से विशेषज्ञों के साथ संवाद कर रहे हैं। इस संबंध में मार्गदर्शिका भी बनाया जाएगा, जिसे शीघ्र ही राज्य सरकार घोषित करेगी।
शिक्षा राज्य मंत्री पानसेरिया ने कहा कि आजकल माता-पिता बच्चों को डाक्टर, इंजीनियर या किसी अन्य फील्ड में भेजना चाहते हैं, लेकिन आगामी 10 वर्ष बाद माता-पिता की चिंता होगी की उनका बच्चा पढ़-लिखकर शिक्षित और विवेकवान बने। इसकी वजह है कि आजकल युवा डिप्रेशन और ड्रग्स के शिकार हो रहे हैं। इस वजह से युवाधन को उचित मार्ग पर भेजना चाहिए, योग्य प्लेटफार्म उपलब्ध कराना चाहिए और उचित शिक्षा देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आजकल माता-पिता बच्चों पर अनावश्यक दबाव डालकर परसेंटेज लाने को कहते हैं। इसके कारण माता-पिता ही बच्चों के दुश्मन बन जाते हैं। बालक यदि खुद मेहनत करें और आगे आए तो यह महत्व का है। बच्चों को प्रेम और सदभावना का वातावरण मिलना चाहिए।
दूसरी ओर एनसीटीई के चेयरमैन पंकज अरोरा ने कहा कि 4 वर्ष के ग्रेज्युशन करना है तो एक वर्ष बीएड भी करना होगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षकों के लिए पांच अलग-अलग प्रोग्राम लांच किए गए हैं। योगा, फिजिकल, संस्कृत और आर्ट ये सभी प्रोग्राम कक्षा 12 के बाद चार वर्ष के रहेंगे। इसमें 160 क्रेडिट सिस्टम रहेगा। इसके बाद दो वर्ष का बीएड चलता था, इसमें नई शिक्षा नीति के अनुसार बदलाव लाया गया है। अब चार वर्ष का ग्रेज्युएशन या पीजी की पढ़ाई करनी है तो विद्यार्थी को एक साल का बीएड भी कर सकेंगे। इतना ही नहीं, एमएडी में भी फुल टाइम एमएड करन हो तो एक वर्ष इसमें जोड़ा जा सकता है। लेकिन, यदि किसी अन्य गतिविधि के साथ पार्ट टाइम एमएड करना है तो इसे दो वर्ष में पूरा करना होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय