गौमाता को परोसा गया 2001 किलो आम का रस

वडोदरा, 26 मार्च (हि.स.)। वडोदरा के श्रवण फाउंडेशन के सदस्यों ने लगातार दूसरे साल गौमाता और नंदी के लिए आमरस का व्यंजन परोसा। युवाओं ने गौमाता को सीजन के नए आम का भोग लगाया, साथ ही लोगों से अपील की कि गौवंश को सिर्फ आम के छिलके और गुठली ही नहीं बल्कि उन्हें आम का स्वाद भी चखाएं।
गुजरात में आम खाने के साथ आमरस का प्रचलन है। लोग आमरस के साथ चीनी आदि मिलाकर स्वादिष्ट शेक तैयार करते हैं। श्रवण फाउंडेशन के नीरव ठक्कर ने बताया कि आम का सीजन शुरू हो गया है। घर-घर आम पहुंचे, इससे पहले गौमाता को प्रथम आहार देने की हमारे देश में प्रथा है। उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह से इसकी तैयारी की जा रही थी। अच्छी गुणवत्ता के आम का संग्रह किया गया। बाद में इसका आमरस तैयार कर इसे शीतल रखा गया। इस कार्य में संस्था के योगदीपसिंह जाडेजा, दीप पारीख समेत 20 स्वयंसेवकों ने रात-दिन काम किया।
उन्होंने कहा कि सामान्य रूप से लोग आम खाने के बाद इसकी गुठली और छिलका गायों को देते हैं लेकिन जिसमें 33 कोटि देवी-देवता वास करते हैं, वे भी आम के स्वाद के हकदार हैं। ठक्कर ने बताया कि 2001 किलो आम का ताजा और ठंडा रस तैयार कर गौशाला की 9 क्यारियों में इसे डाला गया। करीब 700 गौमाता और नंदी ने इस रस का स्वाद लिया। इस तरह प्रति गाय-नंदी 2.80 किलो आमरस दिया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय