40 से अधिक मासूमों को मौत की नींद सुलाने वाली दो बहनों और माँ की काली करतूत

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दुनिया में अपराध के काले चिट्ठे में गुनाहगारों की लिस्ट बड़ी लंबी है. बदलते वक्त की रफ्तार के साथ दरिंदों के अपराध करने के तौर तरीके भी बदलते रहते है.  आज कहानी मासूमों के सिरियल किलर हत्यारी माँ अंजना गवित और उसकी बेटी रेणुका शिंदे और सीमा गवित का भयानक कृत्य याद कर लोग आज भी अपने मासूम बच्चों को लेकर चिंचित हो उठते है. आज कहानी इन तीन हैवानों की जिसने मासूम बच्चों को अपने चंगुल में फसाकर उनका शोषण कर उनकी हत्या कर देते थे. महाराष्ट्र के कोल्हापुर में अंजना गवित को बेटी रेणुका हुई तो उसके पति ने उसे छोड़ दिया. अंजना गवित फिर ने मोहन नाम के शख्स से शादी की लेकिन सीमा के पैदा होने के बाद मोहन ने प्रतिमा नाम की दूसरी महिला से विवाह कर लिया. जिसके बाद अंजना दोनों बेटियों के साथ मिलकर चोरियां करने लगी.

पहले करते थे, चोरियां

सीमा और रेणुका अपनी मां अंजना गावित के साथ भीड़-भाड़ वाले पब्लिक प्लेस, धार्मिक स्थानों पर छोटी-मोटी चोरी और चेन-स्नैचिंग का काम करते थे. जेब काटना और पर्स चोरी भी इनके अपराध में शामिल था. 

ऐसे आया, बच्चों को यूज करने का आइडिया

एक ऐसी ही घटना में, रेणुका शिंदे एक मंदिर में महिला को लूटने की कोशिश करते हुए पकड़ी गई थी. चूंकि उसके साथ 1 साल का बच्चा था, इसलिए वह भीड़ के प्रकोप से बच गई. जहां से उसके नए अपराध की शुरुआत हुई. रेणुका को लगा कि अगर वह अपराध करते हुए पकड़ी जाती है तो बच्चों की आड़ में वह आसानी से बच सकती है.

125 से ज्यादा मुकदमें हुए दर्ज 

साल 1990-1996 तक मां-बेटियों की तिकड़ी ने 3 दर्जन से अधिक बच्चों का पहले अपहरण किया. बच्चों में ज्यादातर शिशु और 12 साल से कम उम्र के बच्चे शामिल थे. ये तीनों आरोपी बच्चों को भीख मांगने, चोरी करने में लगाते थे. ये आरोपी बच्चों को आधा पेट खाना देते. यह सुनिश्चित किया जाता था कि वे बच्चे भाग न पाएं. तीनों के खिलाफ 125 से अधिक मुकदमें दर्ज किए गए.

40 से ज्यादा बच्चों के किडनैप

दोनों बहनों ने साल 1990 से लेकर 1996 तक 40 से ज्यादा बच्चों का अपरहण किया. इस बच्चों में पुलिस संतोष, बंटी, स्वाति, गुड्डू, मीना, राजा, श्रद्धा, क्रांति, गौरी और पंकज के अपहरण साबित कर पाई. इसके अलावा सिर्फ संतोष, श्रद्धा, गौरी, पंकज और अंजलि की नृशंस हत्याएं साबित हुईं.

ऐसे खुलीं वारदातें

साल 1996 में अंजना ने रेणुका और सीमा के साथ मिलकर अपने पूर्व पति मोहन और प्रतिमा की बेटी की हत्या की. इस हत्या के बाद उन्होंने मोहन और प्रतिमा की दूसरी बेटी को मारने की योजना बनाई. इसकी भनक प्रतिमा को लग गई तो उसने तत्काल पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद अंजना, रेणुका और सीमा को पुलिस ने गिरफ्तार किया गया. इन हत्यारोपी के घर में छापे मारे गए तो कई बच्चों के कपड़े और खिलौने मिले. रेणुका का पति किरण भी मोहन और प्रतिमा की बेटी की हत्या में शामिल था लेकिन वह बाद में सरकारी गवाह बनाया गया. महाराष्ट्र की कोल्हापुर पुलिस ने आखिरकार सनसनीखेज मामले का पर्दाफाश किया. गिरफ्तारी के बाद इन तीनों को जेल होती. माँ सालभर के भीतर जेल में ही दम तोड़ देती वहीं दोनों बहनों को फांसी की सजा सुनाई जाती जो बाद में उम्रकैद की सजा में तब्दील कर दी जाती.