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शराब घोटाला: ईडी की एफआईआर में कमीशन की जानकारी उजागर

प्रवर्तन निदेशालय ने शराब घोटाला केस में 77 अधिकारियों, कारोबारियों, और नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का एलान किया है।
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रायपुर: प्रवर्तन निदेशालय ने शराब घोटाला केस में 77 अधिकारियों, कारोबारियों, और नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का एलान किया है। इस मामले में सभी आरोपी धारा 420, 467, 468, 471, और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज करने के लिए कदम उठाए गए हैं।

आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड, पूर्व आबकारी सचिव निरंजन दास, पूर्व आईएएस अनिल टूटेजा, सहायक आयुक्त अनिमेष नेताम सहित 20 जिला आबकारी अधिकारियों के नाम शामिल हैं, जो सभी इस मामले में आरोपी बने हैं।

ईओडब्ल्यू के तहत दर्ज हुई एफआईआर के माध्यम से प्रवर्तन निदेशालय ने यह दावा किया है कि इन अधिकारियों ने अपने पदों का दुरुपयोग करके आबकारी व्यवसाय में धन के अवैध तरीके से जुटाने का आरोप लगाया गया है।

कथित शराब घोटला का मास्‍टर माइंड कौन है। यह घोटल हुआ कैसे। ईडी की सूचना पर जिन 68 लोगों के नाम पर एफआईआर दर्ज की गई है घोटाला में उनकी भूमिका क्‍या है। शराब से हुई कमाई का कितना हिस्‍सा किस अफसर और नेता को मिला। इस पैसे को नेताओं और अफसरों ने कहां और कैसे निवेश किया। इन सभी प्रश्‍नों का जवाब एफआईआर में भी मौजूद हैं।

ईडी की सूचना के आधार पर ईओडब्‍ल्‍यू में दर्ज एफआईआर में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को शराब घोटाला का मास्‍टर माइंड बताया गया है। एफआईआर में शामिल बाकी आईएएस व अन्‍य सरकारी अफसर और लोग सहयोगी की भूमिका में थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्‍सा इन्‍हीं तीनों को जाता था। टुटेजा आईएएस अफसर हैं, जब यह घोटाला हुआ तब वे वाणिज्‍य एवं उद्योग विभाग के संयुक्‍त सचिव थे। दूरसंचार सेवा से प्रतिनियुक्ति पर आए त्रिपाठी आबकारी विभाग के विशेष सचिव और छत्‍तीसगढ़ मार्केटिंग कार्पोरेशन के एमडी थे। वहीं, ढेबर कारोबारी हैं। एफआईआर के अनुसार ढेबर और टुटेजा ने मिलकर पूरी प्‍लानिंग की थी।

इन लोगों ने परिवार के सदस्‍यों के नाम पर किया निवेश
एफआईआर के अनुसार अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से प्राप्‍त रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया। वहीं, त्रिपाठी ने अपनी पत्‍नी अपनी पत्‍नी मंजूला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाया जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्रइवेट लिमिटेड था। वहीं, ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों के फर्म में पैसे का निवेश किया।

एफआईआर में छत्‍तीगसढ़ के पूर्व मुख्‍य सचिव विवेक ढांड का भी नाम है। ढांड पर टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के शराब सिंडीकेट को संरक्षण देने का आरोप है। इसके लिए ढांड को सिंडीकेट की तरफ से राशि भी दी जाती थी। रिपोर्ट के अनुसार इस बात का खुलासा 2020 में ढांड के यहां आयकर विभाग के सर्च के दौरान मिले दस्‍तावेजों से हुआ है।

प्रदेश में बड़े स्‍तर पर हुए शराब घोटाला में तत्‍कालीन विभागीय मंत्री कवासी लखमा को हर महीने 50 लाख रुपये हिस्‍सा मिलता था। एफआईआर के अनुसार लखमा के साथ ही विभागीय सचिव आईएएस निरंजन दास को भी सिंडीकेट की तरफ से 50 लाख रुपये हर महीने दिया जा रहा था।