छत्तीसगढ़, रायपुर पचपेढ़ी नाका, कलर्स माल पर स्थित कालड़ा प्लास्टिक कॉस्मेटिक
सर्जरी एवं बर्न सेंटर के संचालक व अंचल के प्रसिध्द कॉस्मेटिक व रिकन्स्ट्रटीव सर्जन डॉ. सुनील कालड़ा ने राजनांदगांव निवासी छन्नू वर्मा को नया जीवन देकर चिकित्सा के क्षेत्र में इतिहास रचा है. प्रेसवार्ता में डॉ. सुनील कालड़ा ने बताया कि छन्नो जो कि प्राईवेट कंपनी में कार्यरत है, 8 जनवरी 2021 को रात्रि शिफ्ट के दौरान फैट्री में चलती हुई चैन में दोनों पैर आ गये थे व दोनों पैरों की दिशा बदल गई थी. उसी रात छन्नू को कालड़ा प्लास्टिक कॉस्मेटिक सर्जरी एवं बर्न सेंटर में लाया गया. एक बार तो डॉक्टरों ने मना कर दिया की पैरों के बचने की उम्मीद नही है. दाहिना पैर उल्टा हो गया था और बायां पैर की एंकल जाईंट बोन लॉक हो गया था, जो कटकर बाहर आ गया था. फिर भी डॉ.कालड़ा ने कोशिश किया और आज उसी का नतीजा है कि छन्नू वर्मा के दोनों पैर सही सलामत हो गये. इस तरह से डॉ.सुनील कालड़ा ने छन्नू को नया जीवनदान दिया. डॉ.सुनील कालड़ा ने बताया कि छन्नू के पैरों की हड्डी चकनाचूर हो गया था व पैर भी 12 सेंटीमीटर छोटे हो गये थे, जिसे सर्जरी कर फिर से 12 सेंटीमीटर बढ़ाया गया है. छन्नू वर्मा अब फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है और वो बहुत खुश है. आपको बता दें कि विगत 33 वर्षों से डॉ. सुनील कालड़ा कटे अंगों को जोड़ने वाली एकमात्र सेंटर है, डॉ. सुनील कालड़ा ने पूर्व में भी दोनो हाथ व पैर कटे हुए जोड़े है जो कि एक मिशाल है.
प्रदेश के लिए कीर्तिमान कालड़ा हॉस्पिटल डॉ. सुनील कालड़ा ने आगे बताया कि अभी तक 5000 से भी ज्यादा मरीजों के कटे अंगों को जोड़े जा चुके हैं. इस तरह के ऑपरेशन माइक्रोस्कोप में देखकर करना पड़ता है और मरीज को सघन निगरानी की जरूरत होती है. इसमें एक-एक सूक्ष्म नसों को आपस में जोड़ना पड़ता है. यदि दुर्घटना में कोई अंग कट जाए तो उसको सुरक्षित रखने के लिए पालीथीन में बर्फ रखकर डॉटर के पास जोड़ा जा सकता है. उन्होंने बताया कि बहुत ज्यादा चोट, क्रश या जगह-जगह कटे अंगों को जोड़ना संभव नहीं है. उन्होंने अंत में यह बताया कि पूरे देश में ऐसे
ऑपरेशन बहुत कम होते हैं.