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रायपुर : दण्ड संहिता से न्याय संहिता की ओर तीन नए आपराधिक कानून: पुलिस महानिरीक्षक शुक्ला

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रायपुर : दण्ड संहिता से न्याय संहिता की ओर तीन नए आपराधिक कानून: पुलिस महानिरीक्षक शुक्ला
रायपुर : दण्ड संहिता से न्याय संहिता की ओर तीन नए आपराधिक कानून: पुलिस महानिरीक्षक शुक्ला


- तीन नए आपराधिक कानून पर वार्तालाप

रायपुर, 14 मई (हि. स.)। देशभर में 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी होने वाले तीन नए आपराधिक कानून, दंड संहिता से न्याय संहिता की ओर अग्रसर करने वाला है । यह बात आज मंगलवार को गृह मंत्रालय, भारत सरकार एवं पत्र सूचना कार्यालय, रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में तीन नए आपराधिक कानूनों पर रायपुर में आयोजित मीडिया कार्यशाला ‘वार्तालाप’ में पुलिस महानिरीक्षक (बिलासपुर रेंज) संजीव शुक्ला ने कही । इस वार्तालाप में स्थानीय प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मीडिया के लीगल और क्राइम बीट कवर करने वाले संवादाता शामिल हुए ।

वार्तालाप को संबोधित करते हुए श्री शुक्ला ने कहा कि, देश लगभग पौने दो सौ साल के औपनिवेशिक कानून से निकलकर भारतीयता से ओतप्रोत भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के माध्यम से एक नए युग की शुरुआत कर रहा है ।

तीनों नए कानूनों पर विस्तार से चर्चा करते हुए संजीव शुक्ला ने कहा कि नया कानून ज्यादा जनता को ध्यान रखकर बनाया गया है । उन्होंने बताया कि तीन नए प्रमुख कानूनों का मकसद सजा देने की बजाय न्याय देना है । श्री शुक्ला ने कहा कि आज साइबर अपराधों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है । पुराने कानूनों में साइबर अपराधों के लिए कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन नए कानून में व्यवस्था की गयी जो आज के समय की मांग है । उन्होंने बताया कि इन नए कानूनों में सूचना प्रौद्योगिकी के साथ ही साथ फॉरेंसिक लैब की स्थापना पर बल दिया गया है ।

इस अवसर पर छत्तीसगढ पुलिस मुख्यालय, नवा रायपुर के उपनिदेशक अभियोजन, अवनिश चौरसिया ने बताया कि नए कानूनों में ई-रिकॉर्ड का प्रावधान किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत जीरो एफआईआर, ई-एफआईआर और चार्जशीट डिजिटल होंगे । पीड़ित को 90 दिनों के भीतर सूचना प्रदान की जाएगी और 7 साल या उससे अधिक की सजा के प्रावधान वाले मामलों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य होगी । उन्होंने बताया कि राजद्रोह कानून को निरस्त कर देशद्रोह को परिभाषित किया गया है। इसमें भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ कार्यों के लिए सात साल तक की सजा अथवा आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है ।

उन्होंने बताया कि नए आपराधिक कानून बेहद सरल हैं और सहजता के साथ अध्ययन करने पर इन्हें आसानी से समझा जा सकता है । उन्होंने बताया कि भगोड़े अपराधी के दोषी पाए जाने पर 10 वर्ष या अधिक की सजा/आजीवन कारावास/मौत की सजा और भगोड़े अपराधियों की संपत्ति जब्त करने के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर आवश्यक कदम उठाए जाने का प्रावधान किया गया है । साथ ही संगठित अपराधों पर नए प्रावधान बनाए गए हैं । इसके अलावा आतंकवाद को परिभाषित करते हुए इसके प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को मजबूत किया गया है और आतंकवादी कृत्यों के लिए मृत्युदंड अथवा आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है ।

हिन्दुस्थान समाचार/गायत्री प्रसाद/केशव