बलरामपुर : बाल विवाह कानूनन अपराध, अक्षय तृतीया पर रहेगी विशेष निगरानी : बसंत सिंह

बलरामपुर, 3 अप्रैल (हि.स.)। बाल विवाह केवल एक सामजिक बुराई ही नहीं अपितु कानूनन अपराध भी है। शासन द्वारा विवाह हेतु लड़के का उम्र 21 वर्ष तथा लड़की की उम्र 18 वर्ष निर्धारित है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता-पिता सगे संबंधी, बाराती यहां तक कि विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग बसंत मिंज ने बताया कि कोई भी व्यक्ति जो जानबूझकर ऐसी निषेधाज्ञा का उल्लंघन करता है उसे दो वर्ष तक कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि एक लाख रुपये तक हो सकता है। इसके अतिरिक्त यदि वर या कन्या बाल विवाह पश्चात् विवाह को स्वीकार नहीं करते हैं तो बालिग होने के पश्चात् विवाह को शून्य घोषित करने हेतु आवेदन भी कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण शिशु-मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर के साथ घरेलु हिंसा में भी वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि 6 अप्रैल को रामनवमी तथा 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया है। इन अवसरो पर बड़ी संख्या में बाल विवाह संपन्न होते हैं, अतएव अन्य दिवस के साथ-साथ विशेष रूप से अक्षय तृतीया को निगरानी रखने की आवश्यकता है।
इस संबंध में प्रत्येक ग्राम पंचायतों में कोटवार द्वारा बाल विवाह नहीं करने, बाल विवाह के कानूनन अपराध होने से सम्बंधित मुनादी कराया जा रहा है। जिससे सभी ग्रामीणजनों को जानकारी हो सके कि बाल विवाह करना अपराध है, जिले में ऐसे क्षेत्र जातियों का चिन्हित करने हेतु पटवारी, कोटवार, शिक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं ग्राम स्तरीय शासकीय अमले को भी दायित्व सौंपा गया है।
मिंज ने समस्त नागरिकों से अपील की है कि लड़के की उम्र 21 वर्ष तथा लड़की की उम्र 18 वर्ष पूर्ण होने के उपरांत ही विवाह करें। बाल विवाह की सूचना ग्राम सरपंच, ग्राम पंचायत सचिव, ग्राम के शिक्षक, कोटवार, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, पुलिस थाना-चौकी, चाइल्ड हेल्प लाइन 1098, महिला हेल्प लाइन 181 व पुलिस हेल्पलाइन 112, एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी के मोबाइल नम्बर पर 9826278915 पर दे सकते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पाण्डेय