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चरोदा निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों को दो महीनों से वेतन में विलंब

भिलाई-चरोदा नगर निगम के अधिकारी और तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को पिछले दो महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिसके कारण उनके कामकाज पर मानसिक तनाव का असर पड़ रहा है।
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भिलाई: भिलाई-चरोदा नगर निगम के अधिकारी और तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को पिछले दो महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिसके कारण उनके कामकाज पर मानसिक तनाव का असर पड़ रहा है। इससे उनके पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन भी मुश्किल हो रहा है। वेतन के लंबित भुगतान का समाधान कब होगा, यह सवाल उनके सामने है, लेकिन इसका कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिल रहा है। इस असुविधा के कारण, भिलाई-चरोदा नगर निगम के कर्मचारियों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।

 पूरे महीने काम करने के बावजूद उन्हें समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है। वेतन मिलने का इंतजार करते दो महीने बीत चुके हैं। नवंबर और दिसंबर महीने का वेतन अधिकारी व तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को नहीं मिल पाया है। गुरु घासीदास जयंती से पहले निगम के चतुर्थ श्रेणी और प्लेसमेंट कर्मचारियों को एक महीने का वेतन दिया गया है। यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि निगम में महीने की पहली तारीख को वेतन भुगतान सुनिश्चित हो जाता है। लेकिन पिछले दो महीने से वेतन नसीब नहीं होने से अधिकारी और कर्मचारियों को परिवार के भरण पोषण में दिक्कत आ रही है। भिलाई-चरोदा नगर निगम में प्लेसमेंट कर्मचारियों को छोड़ दिया जाए तो नियमित अधिकारी व कर्मचारियों की संख्या लगभग 180 है। इनके प्रतिमाह वेतन भुगतान में लगभग 97 लाख रुपए की जरूरत होती है। बतातें हैं लक्ष्य के अनुरूप राजस्व की वसूली नहीं होने से निगम के खजाने पर नकारात्मक असर पड़ा है। इस वजह से वेतन भुगतान में दिक्कत आ रही है। किसी तरह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को वेतन भुगतान कर दिया गया है। लेकिन अधिकारियों के साथ साथ तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को वेतन देने की व्यवस्था अब तक नहीं बन सकी है। कर्मचारियों में उभरने लगा है अवसाद, पार्षदों को भी नहीं मिला मानदेय

लगातार दो महीने से वेतन नहीं मिलने से निगम के अधिकारी और कर्मचारियों में अवसाद उभरने लगा है। यह स्थिति कामकाज के दौरान उनके व्यवहार में साफ झलक रही है। इससे कार्यालयीन कामकाज में नकारात्मक असर पडऩे की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है। महीने भर में वेतन के रूप में एक निश्चित राशि बैंक खाते में आने की उम्मीद के साथ कईं अधिकारी और कर्मचारियों ने घरेलू आवश्यकता के सामान किश्त में खरीद रखा है। राशन सहित बच्चों के पढ़ाई का भी खर्च वेतन पर टिका हुआ है। ऐसे में दो महीने से वेतन नहीं मिलने के चलते अधिकारी और कर्मचारियों की मानसिक स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।