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गोकुल धाम निर्माण के बाद भी खटाल संचालन में मनमानी

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गोकुल धाम निर्माण के बाद भी खटाल संचालन में मनमानी
भिलाई शहर में, गोकुल नगर बनने के बावजूद, भैस खटालों के संचालन में अनियंत्रित वृद्धि का सामना किया जा रहा है। अब जब प्रदेश में फिर से भाजपा की सरकार है, तो इससे संबंधित भैस खटालों को शहर से बाहर जाने की उम्मीद बढ़ गई है। पहले ही, गोकुल नगर योजना के तहत मवेशी पालकों को शहर की बाहर जाने की व्यवस्था की गई थी जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। हालांकि, नियमों का उल्लंघन करते हुए, शहर के अंदर सघन बसाहट वाले क्षेत्र में भैस खटालों का संचालन जारी है। कई जगहों पर, गोकुल धाम में भी खटाल है, और यहां लोग जमीन को अपने कब्जे में लेने के बावजूद बड़ी बड़ी दुकानें चला रहे हैं। निगम को चाहिए था कि वह इस जगह की ज़मीन को अपने कब्जे में ले, लेकिन यह सम्भावना बहुत कम है। इसके परे, सड़कों पर यातायात जाम बना रहता है और इन खटालों के गोबर से गंदगी बहुत हद तक बढ़ रही है।  

यही नही भिलाई का पटरी पार हो या टाउनशिप क्षेत्र हो कही भी  शुद्ध दूध नही मिलता चाहे आप कितने रूपये किलो भी दूध ले लो दो चार दिन बाद बेहद पानी मिला हुआ दूध तो देते ही है यही नही कई क्विंटल मंथन पॉवडर ये खटाल वाले  उपयोग कर मंथन मिलाकर दूध दे रहे है। जिसके कारण लोगों का सेहत बनने के जगह और बिगडते जा रही है। इस लिए शासन प्रशासन को चाहिए कि वे इस ओर ध्यान दें। इन खटालों से निकलने वाली गंदगी से निकासी नालियां अटी पड़ी है। इस गंदगी में जलजनित कीटाणु और मच्छर पनपने से संक्रामक बीमारी फैलने की आशंका बढ़ गई है। सुबह और शाम के वक्त मवेशियों के सड़क पर से होकर गुजरने से

दुर्घटना का खतरा बना हुआ है। राज्य में भाजपा के पूर्व सरकार द्वारा शहर को स्वच्छ बनाए रखने के उद्देश्य से मवेशी पालन हेतु गोकुल नगर योजना लागू किया गया है। भिलाई नगर निगम द्वारा कुरुद के पास गोकुल नगर विकसित कर शहर के अंदर बेतरतीब ढंग से व्यवसायिक दृष्टि से मवेशी पालन करने वालों बसाया है। बावजूद इसके शहर के अंदर मवेशी पालन पर रोक नहीं लग पाया है। शहर के जिन इलाकों में आवासीय बसाहट के आसपास मवेशी पालन के लिए खटाल संचालन किया जा रहा है वहां रहने वाले नागरिक गोबर व अन्य गंदगी से परेशान हैं। खटाल से निकलने वाली गंदगी के सड़कर दुर्गंध उठने से लोगों का घर में रहना दूभर हो रहा है। वहीं खटालों से निकलकर निकासी नालियों में जमी हुई गोबर और गोमूत्र की गंदगी में कीटाणु और मच्छर पैदा होने से संक्रामक बीमारी फैलने की संभावना बढ़ गई है। दरअसल मवेशी पालकों द्वारा खटाल से निकलने वाली गंदगी को निगम की नालियों में बहा दिया जाता है। ऐसी नालियों की सफाई सप्ताह में एक बार रुटीन के अनुसार होती है। जबकि खटालों से प्रतिदिन ढेर सारी गंदगी नालियों में जाकर जमा होती रहती है। यही जमी हुई गंदगी से रह रहकर असहनीय दुर्गंध उठती रहती है। इस तरह की परिस्थितियों में शहर के अंदर संचालित भैंस खटालों के आसपास रहने वालों की हालत का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। बारिश के दिनों में नालियों में जमा गंदगी बाहर सड़क पर और निचली बस्तियों में घर के अंदर जा पहुंचता है। इस वजह से संक्रामक कीटाणुओं के पनपने से बीमारियां फैल चुकी है। गौरतलब रहे कि भिलाई शहर में सुपेला सहित कैम्प और खुर्सीपार क्षेत्र में

भैंस खटालों का संचालन धड़ल्ले से चल रहा है। अब तो भिलाई टाउनशिप का इलाका भी इससे अछूता नहीं रह गया है। हाल के कुछ वर्षों में बारिश के मौसम की दस्तक पड़ते ही शहर में डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी पांव पसारती रही है। इसमें कहीं न कहीं शहर के अंदर संचालित भैंस खटालों से निकलने वाली गंदगी को जिम्मेदार माना गया है। नगर निगम की ऐसे मामलों में भैंस खटाल संचालकों पर जुर्माना लगाकर अपनी जिम्मेदारी प्रदर्शित करने की प्रवृत्ति बनी हुई है। जबकि दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ शहर के अंदर संचालित भैंस खटालों को गोकुल नगर भेजने सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है। अब जब प्रदेश की सत्ता में भाजपा की वापसी हो चुकी है तो लग रहा है कि सरकार की अपनी महत्वाकांक्षी गोकुल नगर योजना के तहत  बसाहट वाले क्षेत्रों में संचालित भैंस खटालों को शहर से बाहर करने सख्ती फिर एक बार देखने को मिलेगी।