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गुणवत्ताहीन साड़ी को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का फूटा गुस्सा

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गुणवत्ताहीन साड़ी को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का फूटा गुस्सा
गुणवत्ताहीन साड़ी को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का फूटा गुस्सा


धमतरी, 10 जून (हि.स.)। गुणवत्ताहीन साड़ी को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट गया। कार्यकर्ताएं पिछले साल मिली फटी व खराब साड़ी को लेकर 10 जून को कलेक्ट्रेट पहुंची। कलेक्टर नम्रता गांधी को दिखाकर पुन: वितरण के लिए खराब साड़ी आने की जानकारी दी और उसे लेने से इंकार किया। सिविल साड़ी पहनकर ड्यूटी करने और अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर वृहद स्तर पर आंदोलन करने की चेतावनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने शासन-प्रशासन को दी है।

छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका कल्याण संघ की जिलाध्यक्ष रेवती वत्सला, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ईश्वरी, भुनेश्वरी, सेवती साहू, पेमिन साहू, संगीता अग्रवाल, मीना विश्वकर्मा, केकती साहू, सरस्वती मरकाम, उत्तरा बाई, सुशीला धामगे, धनेश्वरी साहू, भगवती साहू आदि 10 जून को कलेक्ट्रेट पहुंची। कलेक्ट्रेट कार्यालय में कलेक्टर नम्रता गांधी को ज्ञापन सौंपकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ के पदाधिकारी व सदस्यों ने आरोप लगाते हुए कहा कि मार्च 2023 में शासन से उन्हें जो साड़ी मिली हुई थी, उसे सिर्फ दो से तीन दिन उपयोग करने के बाद वह कुछ जगहों पर फट गई। साथ ही साड़ी की क्वालिटी पूरी तरह से प्रभावित हो चुका है। ऐसे में पूरे सालभर अधिकांश आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सिविल साड़ी पहनकर ड्यूटी की है। इससे उनमें नाराजगी है। अब वर्ष 2024 में पुन: शासन से वही साड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को देने के लिए पहुंचा है, जो उचित नहीं है। पहले से इस साड़ी क्वालिटी से वाकिफ है, ऐसे में इसे बेकार में वे लेना नहीं चाहती। इस साल भी वे सिविल साड़ी में ड्यूटी करना चाहती है। उनकी मांग है कि शासन उन्हें पहले की तरह बेहतर क्वालिटी की साड़ी प्रदान करें। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि शासन से उन्हें जो मोबाइल मिला था, वह भी खराब हो चुका है। अब वे स्वयं के मोबाइल चला रहे हैं। पूरा शासकीय कार्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अब मोबाइल से करती है। इसके लिए उन्हें शासन से इंटरनेट शुल्क के लिए अतिरिक्त राशि नहीं मिलता है। वे स्वयं की राशि से नेट पेक की सुविधा अपने मोबाइल पर उपलब्ध करते हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों में रजिस्टर की कमी है। स्वयं की राशि से इसे भी खरीदते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ रोशन सिन्हा