पीएम आवास योजना में गड़बड़ झाला, घर-घर होगी दोबारा जांच, अपात्र हटेंगे
गोपालगंज, 8 दिसंबर (हि.स.)। विधानसभा चुनाव से पहले ग्रामीण विकास की समीक्षा बैठक में तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार द्वारा दिए गए आदेश को अब नई सरकार ने तेजी से जमीन पर उतारना शुरू कर दिया है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में बढ़ती शिकायतों और अपात्र लाभार्थियों की सूची में शामिल रहने की बात सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने जिले भर में व्यापक जांच शुरू करने का आदेश दिया है। डीएम पवन कुमार सिन्हा ने पीएम आवास योजना ग्रामीण अंतर्गत आवास 2024 में सर्वेक्षित सभी परिवारों के भौतिक सत्यापन के लिए पंचायत स्तर पर नई टीमें गठित करने का निर्देश दिया है।
डीएम ने कहा कि पूर्व में सर्वे करने वाले कर्मियों को इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा, ताकि जांच पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी रहे। नई टीमें घर-घर जाकर लाभार्थियों की आर्थिक स्थिति, रहने की परिस्थिति, मकान की वास्तविक दशा और जमीन के दस्तावेज की जांच करेंगी। जांच के दौरान अपात्र पाए जाने वाले परिवारों के नाम तत्काल प्रभाव से सूची से हटाए जाएंगे। वहीं जिन वास्तविक जरूरतमंदों का नाम छूट गया था, उन्हें शामिल किया जाएगा।
डीएम के इस आदेश से प्रखंड में तैनात बीडीओ, आवास सहायक, विकास मित्र, पंचायत सचिव तथा शामिल जनप्रतिनिधियों जैसे लोगों का हाथ पैर फूलना शुरू हो गया है। आवास मिले लाभुकों से जांच टीम कई सवाल का जवाब लेगी।
सूत्रों के अनुसार, पिछले सर्वे में भारी गड़बड़ियां सामने आई थीं। कई ऐसे परिवार सूची में बने हुए थे, जो अब पक्के मकान में रहते हैं या जिनकी आय निर्धारित सीमा से अधिक है। इसके विपरीत, कई गरीब परिवार जो आज भी कच्चे घर में रहते हैं, सर्वे में छूट गए थे।
स्थानीय ग्रामीणों ने भी कई पंचायतों में इस तरह की अनियमितताओं की शिकायत की थी। जिला स्तरीय समीक्षा बैठक में जन प्रतिनिधियों ने पीएम आवास योजना में भ्रष्टाचार का मुद्दा मजबूती से उठाया था। आरोप था कि प्रखंड स्तर के कुछ अधिकारियों व कर्मियों ने बिचौलियों के माध्यम से 25 से 30 हजार रुपए तक की वसूली कर अपात्रों का चयन कराया। मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन मंत्री ने जांच का आदेश दिया था, जिसके बाद अब प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई तेज कर दी गई है। गौरतलब है कि पीएम आवास योजना के तहत पात्र परिवारों को 1.30 लाख से 1.50 लाख रुपए तक की सहायता राशि उपलब्ध कराई जाती है।
पात्रता मानदंड में स्पष्ट है कि परिवार बेघर हो या कच्चे घर में रहता हो, आय तय सीमा के भीतर हो, किसी अन्य आवास योजना का लाभ न लिया हो, और जमीन का स्वामित्व वैध हो। लेकिन पिछले वर्षों में इन गाइडलाइनों की अनदेखी कर कई अपात्रों का चयन किया गया। जिला प्रशासन का मानना है कि नई व्यवस्था और पारदर्शी जांच प्रक्रिया से योजना की वास्तविक भावना मजबूत होगी और वास्तविक गरीब परिवारों तक सरकारी सहायता पहुंच सकेगी। आने वाले दिनों में सभी प्रखंडों में टीमें लगातार निगरानी व सत्यापन कार्य को अंजाम देंगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / Akhilanand Mishra

