बीबीसी कॉलोनी के नेताजी स्पोर्टिंग क्लब का दुर्गो महोत्सव: परंपरा और कलात्मकता का अद्भुत मिश्रण
गुवाहाटी, 09 अक्टूबर (हि.स.)। आश्विन माह में शारदीय नवरात्र का पर्व मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 03 अक्टूबर से हुआ है। वहीं, इसका समापन 11 अक्टूबर को होगा। इसके अगले दिन यानी 12 अक्टूबर को दशहरा का पर्व उत्साह के साथ मनाया जाएगा। शारदीय नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इसी वजह से इसे दुर्गा पूजा भी कहा जाता है। दुर्गा पूजा के लिए पंडाल लगाकर मां दुर्गा की प्रतिमा को विराजमान किया जाता है। साथ ही विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
हर साल पांडू नेताजी स्पोर्टिंग क्लब दुर्गा पूजा का आयोजन करता है। इस वर्ष की पूजा न केवल सांस्कृतिक रूप से बल्कि, कलात्मक रूप से भी अद्वितीय है। इस साल की पूजा की प्लानिंग ने पहले ही सबका ध्यान खींचा है। लगभग 1200 लोगों की आबादी वाले इस छोटे से रेलवे कॉलोनी समुदाय ने इस साल दुर्गोत्सव के लिए एक बड़ा बजट बनाया है, जो कि 20 लाख रुपये है।
मूर्ति का विषय: प्राचीन हस्तशिल्प परंपराएं
इस साल की मूर्ति बनाने की जिम्मेदारी जाने-माने कुम्हार उपेन पाल को सौंपी गई है। उनके कुशल हाथ पुराने हस्तशिल्प की थीम पर मूर्तियां बनाए हैं। दुर्गा प्रतिमा बंगाल की प्राचीन हस्तशिल्प की गौरवशाली विरासत का प्रतीक हैं, जो आगंतुकों के लिए अतीत के कलात्मक कौशल का एक जीवंत उदाहरण हैं। उपेन पाल ने कहा, मूर्ति की सजावट और संरचना इस तरह से किया गया है कि यह एक तरफ परंपरा के साथ-साथ आधुनिक कलात्मकता को भी दर्शाती है।
पंडालों की विशेषताएं : मिट्टी के कुटीर शिल्प
इस साल का पंडाल भी दुर्लभ कलात्मकता वाला है। पहले भी कई लोकप्रिय पंडाल डिजाइन कर चुके राजू बरुवा ने पंडाल निर्माण किया है। इस साल का पंडाल मिट्टी की कुटीर शिल्प की थीम पर बनाया गया है। पंडाल के हर कोने में बंगाल की मिट्टी के बर्तनों की परंपरा का प्रदर्शन किया गया।
लाइटिंग से पंडाल की कलात्मकता और प्रतिमा की सुंदरता बढ़ती है। लाइटिंग का जिम्मा मशहूर लाइट कारीगर बिकी का है। वह पहले भी कई बड़े दुर्गा फेस्टिवल में लाइटिंग करने में अपनी कुशलता साबित कर चुके हैं। बिकी के मुताबिक, लाइटिंग इनोवेटिव होगी और पंडाल और मूर्तियों के अनुरूप बनाई गया है, जिससे पूरा पूजा परिसर एक खास लाइटिंग का माहौल बन गया है।
मंडप ढाक की थाप से गुंजा और ढाक बजानेवाले कोलकाता के टालीगंज से आया है। ढाक के संगीत से पूजा पंडाल और भी जीवंत हो गया।
पूजा समिति के अध्यक्ष विकास दास और महासचिव दीपांकर मजूमदार इस बड़े पैमाने पर पूजा के आयोजन के प्रभारी हैं। उन्होंने कहा कि इस साल की पूजा में जो परंपरा और आधुनिकता एक साथ लाई गई है, वह पूजा परिसर में मौजूद सभी लोगों का दिल जीत लेगी। इसके अलावा, पूरे कार्यक्रम की योजना इस तरह से बनाई गई है कि हर कोई इसमें भाग ले सके और यह सभी के लिए आनंददायक बन जाए।
अध्यक्ष विकास दास ने कहा, हम इस साल पूजा को खास बनाना चाहते हैं। मूर्तियों से लेकर पंडाल, लाइटिंग, हर चीज में बंगाली परंपरा और कला का स्पर्श है। उम्मीद है, हमारे प्रयास सभी का दिल जीत लेंगे। महासचिव दीपांकर मजूमदार ने कहा, हर साल हम पूजा को थोड़ा अलग तरीके से पेश करने की कोशिश करते हैं। इस साल भी कोई अपवाद नहीं है।
दुर्गा पूजा हमेशा से बंगाली भावनाओं का एक बड़ा हिस्सा रही है। क्षेत्र के सभी लोगों का संयुक्त प्रयास इस पूजा के आयोजन से जुड़ा हुआ है। इस वर्ष नेताजी स्पोर्टिंग क्लब की दुर्गा पूजा सिर्फ एक पूजा नहीं है, बल्कि एक सामाजिक मेलजोल का उत्सव भी है। यह पूजा भक्तों के लिए दैनिक पूजा-अर्चना, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और विभिन्न कार्यक्रमों के साथ बंगाली शरद उत्सव का आनंद बढ़ाएगी।
हिन्दुस्थान समाचार / देबजानी पतिकर