'अतीत को संरक्षित कर भविष्य को सुरक्षित रखें' शिखर सम्मेलन आयोजित
गुवाहाटी, 23 अक्टूबर (हि.स.)। अतीत के आधार पर वर्तमान और वर्तमान के आधार पर भविष्य का निर्माण होता है। एनई फोकस ने आज विरासत को संरक्षित करने की दृष्टि से “अतीत को सुरक्षित कर हमारे भविष्य को संरक्षित रखें” शीर्षक से एक सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन का आधिकारिक उद्घाटन नाबार्ड के सीजीएम लोकेन डेका ने किया।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड सहयोग कर रहा है। नाबार्ड उद्यमियों की मदद करता रहा है, भले ही सीधे तौर पर नहीं।
सम्मेलन में प्रसिद्ध लेखक मयूर बोरा, प्रोफेसर डॉ. संगीता गोगोई, गुवाहाटी विश्वविद्यालय के इतिहास की प्रोफेसर प्रो परमिता दास, उद्यमी अभिजीत पुरकायस्थ, लेखक भास्कर बरदलै और पत्रकार पुलिन कलिता ने भाग लिया। पैनल चर्चा का संचालन पुरातत्व विभाग के उप निदेशक नवजीत देउरी और कॉटन कॉलेज के पुरातत्व विभाग के प्रोफेसर मंजिल हजारिका ने किया।
सम्मेलन में प्रमुख लेखक मयूर बोरा ने भाग लिया, जिन्होंने सामुदायिक पर्यटन और प्राचीन विरासत संसाधनों के महत्व और संरक्षण के लिए युवा पीढ़ी की भूमिका के बारे में बात की। व्याख्याता डॉ. संगीता गोगोई ने ताई अहोम और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच ऐतिहासिक संबंधों और समानताओं के बारे में बात की।
उद्यमी अभिजीत पुरकायस्थ ने 'बाट भाओना' के बारे में जानकारी दी, जो ऐतिहासिक पर्यटन को नया आयाम दे सकता है। उन्होंने कहा कि शुवालकुची में दुर्गा पूजा के दौरान नवमी को बाट भाओना का आयोजन किया जाता है। यह ऐतिहासिक ग्रामीण पर्यटन के वाहकों में से एक हो सकता है। लेखक भास्कर बरदलै ने लिपि के महत्व, उसकी प्राचीनता पर प्रकाश डाला।
सम्मेलन में भारत पर्यटन के सहायक निदेशक वीएस कुमारन, सामाजिक न्याय एवं महिला अधिकारिता विभाग के निदेशक उत्पल कुमार मोहंती और विभिन्न कॉलेजों के व्याख्याता उपस्थित रहे। सामाजिक न्याय एवं महिला अधिकारिता विभाग की जनकल्याणकारी योजनाओं की प्रदर्शनी भी लगी। सम्मेलन को एसबीआई द्वारा प्रायोजित किया गया था और असम सरकार के सांस्कृतिक मामलों के निदेशालय के सहयोग से नाबार्ड द्वारा समर्थित किया गया था।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश