छठ महापर्वः बिश्वनाथ में व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य
बिश्वनाथ (असम), 07 नंवबर (हि.स.)। आस्था का महापर्व छठ की छटा आज जिले के सभी घाटों में देखने को मिली। सबसे पहले व्रतधारी नंगे पांव हाथ में कलश और श्रद्धालु अपने सिर पर बहंगी लेकर छठ घाट पहुंचे। कलश स्थापना कर चौका पूजन करने के पाश्चात छठ मइया की आराधना में सभी व्रती जुट गईं।
बिश्वनाथ जिले के सभी घाटों पर व्रती एवं श्रद्धालु भगवान भास्कर को संध्या अर्घ्य दिया। हालांकि, व्रतियों का 36 घंटा निर्जला व्रत का शुभारंभ खरना के साथ ही हो गया था। सभी घाटों पर व्रतियों को पूजा-अर्चना करते हुए मंगलमय की कामना करते हुए देखा गया। आज दिनभर निर्जला उपवास कर रीति-नीति से विविध प्रकार के फल, प्रसाद और घरों में बनाये ठेकुआ-खजूरी, कसार का लड्डू, मिठाई आदि लेकर छठ घाट तक पहुंची व्रतियों ने पानी में उतरकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया।
दीप प्रज्वलित कर छठ व्रतधारी के होठों से पारंपरिक मधुर छठ मईया तथा शारदा सिंहा द्वारा गाए छठ गीत को गुनगुनाते हुए देखा गया। बिश्वनाथ चारिआली के पश्चिम चारिआलि छठ पूजा समिति, केंद्रीय श्रीश्री छठ पूजा समिति, बिश्वनाथ घाट पूजा समिति ने व्रतियों के लिए विभिन्न सुविधाओं की व्यवस्था की थी। इसी प्रकार बिश्वनाथ चाराली शहर के आमबाड़ी स्थित केन्द्रीय श्रीश्री छठ पूजा समिति के तत्वावधान में छठ घाट पर सुंदर तरीके से पंडाल सजाकर समिति द्वारा वृहद रूप से व्रतियों के लिए सुविधाएं मुहैया करायी गयी।
इस मौके पर समिति द्वारा एक सभा भी आयोजित की गयी। हिंदी सेवी एवं अध्यापक संतोष कुमार महतो द्वारा संचालित सभा में मुख्य अतिथि के रूप में आसू की केंद्रीय समिति के कार्यवाहक सदस्य विक्रम विकास बोरा, अतिथि के रूप में आसू केंद्रीय समिति के पूर्व कार्यवाहक सदस्य रूपम दास, दिव्य ज्योति बरूवा आदि के साथ ही बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति सभा में मौजूद रहे।
इस बीच प्रसिद्ध लोकगायिका एवं बिहार कोकिला, पद्मश्री, पद्म भूषण शारदा सिन्हा की याद में एक मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। ज्ञात हो कि शारदा सिंहा का हाल ही में निधन हुआ है।
वहीं, बिश्वनाथ चाराली के फलफली स्थित पश्चिम चाराली छठ पूजा समिति का छठ घाट आकर्षण का केंद्र बिंदु बना रहा। बिश्वनाथ चारिआली राष्ट्रभाषा प्रबोध विद्यालय परिचालना समिति की ओर से बिश्वनाथ जिला तथा भारत के सभी हिंदुओं को आस्था के महापर्व छठ की हार्दिक शुभकामनाएं दी गयी।
दूसरी ओर व्रतधारियों ने घर लौटकर आंगन में कोसी भरने की प्रथा का पालन किया और डाला एवं सूप की फिर से पूजा-अर्चना की। शुक्रवार की सुबह उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ व्रतियों का 36 घंटा निर्जला व्रत संपन्न हो जाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द राय